काबुल। सर्दियां दस्तक देने वाली हैं। जिसे लेकर तालिबान की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। दरअसल, अफगानिस्तान में सर्दी बहुत ज्यादा पड़ती है। कई इलाकों में तो तापमान माइनस डिग्री से भी कम हो जाता है। इस बीच तालिबान के पास देश को चलाने के लिए संसाधनों और पैसे की काफी कमी है। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान की संपत्ति पर होल्ड लगा रखा है।
तालिबान के पास सत्ता तो है, लेकिन संसाधन नहीं। इसलिए कई महीनों तक चलने वाली सर्दियों के मौसम में वह जनता को कैसे रखेगा इसकी चिंता उसे सता रही है। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है। यहां लोगों के पास न खाना है और न ही कपड़े। ऐसे में तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जल्द आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।
तालिबान के प्रवक्ता और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि (नामित) सुहैल शाहीन ने सर्दियों का हवाला देते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जल्द आर्थिक मदद देने की अपील की है। सुहैल शाहीन ने ट्वीट किया, सर्दियां नजदीक हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तत्काल आधार पर अफगानिस्तान के लिए आभासी जी 20 शिखर सम्मेलन में सभी गरीबों, कमजोरों के लिए हाल ही में घोषित लगभग एक बिलियन यूरो (लगभग 1.2 बिलियन डॉलर) के सहायता पैकेज के तत्काल वितरण की जरूरत है।
हम सहयोग के लिए तैयार- तालिबान
सुहैल शाहीन ने आगे कहा, इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान सरकार एजेंसी और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से जमीनी स्तर पर पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार है। शाहीन ने कहा, मानवीय सहायता आसन्न प्रवास, अकाल और मानवीय संकट के प्रति हमारी साझा और पारस्परिक जिम्मेदारी को समाप्त नहीं करेगी।
सुहैल शाहीन ने कहा, हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगान लोगों की लगभग 10 बिलियन डॉलर की संपत्ति को रिलीज करने और जिनेवा सम्मेलन 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अफगानिस्तान को दी गई विकास सहायता और परियोजनाओं को फिर से शुरू करने के लिए अफगानिस्तान का समर्थन करने की अपील करते हैं।
आर्थिक संकट से जूझ रही तालिबान सरकार
अमेरिका ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में करीब 146 बिलियन डॉलर खर्च किया था, जिसमें अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण और समर्थन पर 89 बिलियन डॉलर शामिल है। लेकिन 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद अमेरिका समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिनमें वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ भी शामिल हैं, ने अफगानिस्तान के 9.5 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति और लोन पर होल्ड लगा दिया था। अंतरराष्ट्रीय मदद के बिना अब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है।