शाही स्नान से पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महाराज समेत तमाम साधु-संतों ने अखाड़े के विधि-विधान के साथ मां गंगा की पूजा-अर्चना की। पूजा अर्चना के बाद सभी साधु-संतों ने गंगा स्नान किया। इस दौरान बहुत ही कम संख्या में नागा संन्यासी मौजूद रहे। प्रतीकात्मक रूप होने के बावजूद सभी संतों का उत्साह देखते ही बन रहा था। स्नान से पहले प्रतीकात्मक रूप से यात्रा निकाल कर साधु संत हर की पैड़ी पहुंचे फिर गंगा स्नान किया।
निरंजनी अखाड़े के बाद सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े जूना, अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़े के साधु-संत भी काफी कम संख्या में हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर शाही स्नान किया। हालांकि इस दौरान अखाड़े के आचार्य अवधेशानंद गिरी महाराज मौजूद नहीं रहे। सबसे पहले जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि ने मां गंगा की पूजा की जिसके बाद नागा संन्यासियों ने मां गंगा में स्नान किया इसके बाद सभी अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने अपने अनुयायियों के साथ शाही स्नान किया।
संन्यासी अखाड़ों के बाद महानिर्वाणी अखाड़े ने भी अपने साथी अखाड़े के साथ हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में प्रतीकात्मक रूप से शाही स्नान किया। इस दौरान दोनों अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर सबसे पहले मां गंगा में पूजा की।उसके बाद सभी नागा संन्यासियों ने शाही स्नान किया। इस दौरान महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा के साधु-संत काफी सीमित संख्या में दिखाई दिये। इसके बाद बैरागी के तीन अखाड़े और वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंचकर शाही स्नान करेंगे।
हालांकि इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि की कमी खली। बता दें कि नरेंद्र गिरी की 11 तारीख को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्होंने अपने आप को आइसोलेट कर लिया था जिस कारण वह इससे पहले शाही स्नान भी नहीं कर पाए थे।
आखिरी शाही स्नान को लेकर मेला प्रशासन भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए मेला प्रशासन द्वारा मेला क्षेत्र को सैनेटाइज किया गया है।