लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय स्वराज सेनानी सम्मेलन सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में 20 हजार गांवों से सभी दिशाओं से भव्य शोभायात्रा राजधानी पहुंची थी, जहां सामाजिक समरसता और भारतीय ग्राम्य संस्कृति की अद्भुत झांकी दिखाई दी। भारत और विदेशों में कार्यरत एकल अभियान के सेवाव्रती, वानप्रस्थी कार्यकर्ताओं एवं नि:स्वार्थ भाव से संलग्न नगर व ग्राम संगठन के हजारों कार्यकर्ताओं का अद्भुत संगम देखकर अभियान की परिकल्पना साकार नजर आई।
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31 वर्षों की लंबी यात्रा में एकल अभियान ने भारत वर्ष के लाखों गांवों में स्वाभिमान जगाकर उनके सशक्तिकरण का प्रयत्न किया
31 वर्षों की लंबी यात्रा में एकल अभियान ने भारत वर्ष के लाखों गांवों में स्वाभिमान जगाकर उनके सशक्तिकरण का प्रयत्न किया है। ग्राम विकास किए बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है अर्थात गांव का विकास होना अति आवश्यक है। इसमें शिक्षा के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास हो और ग्राम स्वराज में उनके बुनियादी दायित्व एवं अधिकारों का भी उन्हें संज्ञान हो, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है।
एकल अभियान के ग्राम जागरण शिक्षा के अंतर्गत उन्हें ग्राम स्वराज का संकल्प कराया
इस हेतु एकल अभियान के ग्राम जागरण शिक्षा के अंतर्गत उन्हें ग्राम स्वराज का संकल्प कराया जाता है, जिसका अर्थ अपने गांव का विकास स्वयं करना है। जागरण शिक्षा एवं ग्राम स्वराज संकल्प ग्रामवासी को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए उनमें अपने गांव के विकास के लिए सोचने का साहस, समस्याओं से जूझने का साहस और सफल होने तक संघर्ष करने की हिम्मत प्रदान करता है। सरकारें आईं और गईं, गांव वहीं रह गए। नतीजा ग्रामवासी अपने गांव की सबसे कीमती प्राकृतिक संपदा, शुद्ध हवा, पानी, जमीन, पशुधन को छोड़कर शहर को पलायन कर रहे हैं, इनकी रक्षा तो ग्रामवासी ही करेगा। शराब की दुकान तो गांव में खोल देते हैं पर शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा नहीं।
एकल अभियान ने प्रत्येक गांव में 10 युवक और 10 युवतियों को ग्राम स्वराज सेनानी बनाकर उनको संकल्प कराया है कि अपने गांव का विकास वे स्वयं करेंगे। गांव को जगाएंगे, पंचायतों का सशक्तिकरण करेंगे और आगामी 5 वर्षों में यह संकल्प पूरा कर दिखाएंगे, यह एकल अभियान का लक्ष्य है।