राजनीति डेस्क. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कुछ दिनों पहले इस्लाम धर्मं पर एक विवादित टिप्पणी की थी जिसमे उन्होंने कहा था कि ‘इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिससे आज पूरी दुनिया में संकट में है.’ जिसके बार पूरे विश्व में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयानों से कई मुस्लिम देश नाराज है. कई अरब देशों ने फ़्रांस के सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. अब भारत में भी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो चुका है.
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फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ मुस्लिम समाज का विरोध काफी जोरों से देखने को मिल रहा है. भारत में भोपाल में कट्टरपंथी और मुस्लिम संगठनों ने बड़ी संख्या में विरोध-प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के पोस्टर जमीन पर फेंक दिए. मुम्बई में भी इमैनुएल मैक्रों के पोस्टर सड़कों पर फेंके गये.
इस सिलसिले को लेकर मीडिया ने योगगुरु बाबा रामदेव से भी बात की .जिसपर उन्होंने कहा, न तो इस्लाम खतरे में है और ना ही इस्लाम को कोई खतरा है. न कुरान से ना बाइबिल से और न ही दुनिया की कोई किताब से खतरा है. खतरा है आतंकवाद से, कट्टरवाद से. इस वजह से पूरी दुनिया में इस्लाम बदनाम हो रहा है.
आगे उन्होंने यह भी कहा, ‘दुनियाभर के मौलानाओं, मौलवियों को यह सोचना पड़ेगा कि क्यों आखिर इस्लाम को मानने वाले लोग ही इस तरह की घटनाओं में आगे आ जाते हैं. किसी का गला काटने या कहीं शरियत ना लागू करने पर, मुस्लिम देशों के ध्रुवीकरण के नाम पर ये जो पूरी दुनिया में फसाद हो रहा है ये आखिर दुनिया को कहां ले जाएगा. ये एक बड़ा सवाल है? कट्टरवाद का झंडा उठाने वाले लोगों को हमें रोकना पड़ेगा.’
बाबा रामदेव ने इसका समाधान देते हुए कहा कि “सिर्फ मेरा ही मजहब श्रेष्ठ है, इसके लिए पूरी दुनिया के बड़े मजहबी लोगों को सामने आकर कहना होगा कि ये बातें बंद करो, सभी मनुष्य एक समान हैं. सभी का ईश्वर एक है, उसका जुबान अलग हो सकती है लेकिन अनेक ईश्वर नहीं हैं. अलग-अलग ईश्वर होंगे तो कल को ईश्वर ही लड़ने लग जाएंगे, दुनिया कैसे बचेगी. पूरी दुनिया को ये समझना होगा कि धर्म के नाम पर जो बंटवारा है वो हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा. इसलिए समानता की बात करनी होगी, एकता की बात करनी होगी.”
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में एक भाषण के दौरान कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान से भारत में रह रहे मुसलमानों को दुख पहुंचा है. इसलिए भारत के वज़ीरे आज़म को या फैसला लेना चाहिए कि फ्रांस से अब हमें इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट बंद कर देना चाहिए. जैसा की कई मुस्लिम देशों में हुआ है.
इस पर जब रामदेव से पूछा गया की उनकी क्या प्रतिक्रिया है इस बात पर तो वे बोले, “राजनैतिक तौर पर कोई भी कट्टरता का झंडा लेकर चलता है तो उसे प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. अगर कोई धार्मिक कट्टरता का जहर समाज में घोलता है तो वह अपराध है.” उन्होंने कहा, ‘जो लोग इस तरह के विरोध-प्रदर्शन करते हैं और लोगों का हुजूम जमा करते हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. मजहबी कट्टरता की अनुमति किसी समुदाय को नहीं होनी चाहिए.’
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सही किया या गलत? इस सवाल पर रामदेव ने कहा कि उन्होंने मजहबी कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाई है, उनका मैं समर्थन करता हूं. उन्होंने कहा कि फ्रांस की लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ है, इस्लाम के खिलाफ नहीं. लेकिन फ्रांस सहित दुनिया कई देश जो इस्लामिक कट्टरता को झेल रहे हैं, उसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दुनिया शरियत के हिसाब से नहीं चल सकती, देशों में विभिन्न कानून है, उसी हिसाब से चलना होगा.