प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मंगलवार को कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती एक जन आंदोलन बननी चाहिए और लोगों को इसके लाभों से अवगत कराया जाना चाहिए।
सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान की 98वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां स्वरवेद महामंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है, सुराज उतना ही महत्वपूर्ण है जितना स्वराज। शून्य बजट प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि इसे जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए।
शून्य बजट प्राकृतिक खेती पारंपरिक क्षेत्र-आधारित प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करके कृषि लागत को कम करती है और इससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है। मोदी ने हाल के वर्षों में वाराणसी में हुए विकास कार्यों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृतकाल महोत्सव देश के नवयुवकों को अपने आजादी की लड़ाई के नायकों से परिचित करा रहा है। जब पूरी दुनिया को योग का अनुसरक्षण करते हुए देखते हैं तो हमें लगता है कि योग सद्गुरु सदाफलदेव का प्रयास फलीभूत होते दिखता है। उन्होंने योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक अभियान शुरू किया था जो आज वटवृक्ष बन चुका है। भारत पर जब कोई समस्या आती है तो कोई न कोई महापुरुष समय की धारा को बदलने के लिए अवतरित हो ही जाता है। यह भारत ही है जहां सबसे बड़े स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे बड़े नायक को दुनिया महात्मा गांधी कहकर बुलाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी की ऊर्जा अक्षुण्ण तो है ही, यह नित नया विस्तार लेती रहती है। इस दैवीय भूमि पर ईश्वर अपनी अनेक इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए संतों को निमित्त बनाता है। कल श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण और आज सदगुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान का वार्षिकोत्सव आयोजन हो रहा है। भारत पर जब कभी कोई समस्या आती है तो कोई न कोई महापुरुष समय की धारा को बदलने के लिए अवतरित हो जाता है। असहयोग आंदोलन में पहली बार जेल गए सद्गुरु सदाफलदेव ने जेल में ही रहकर योग को आगे बढ़ाने का काम किया। जब पूरी दुनिया को योग का अनुसरण करते हुए देखते हैं तो हमें लगता है कि योग गुरु सद्गुरु का प्रयास फलीभूत होते दिखता है। आजादी का अमृतकाल महोत्सव देश के नवयुवकों को अपने आजादी के लड़ाई के नायकों से परिचित करा रहा है।
उन्होंने कहा कि बनारस के विकास की जब बात होती है तो पूरे भारत के विकास का रोडमैप अपने आप बन जाता है,क्योंकि काशी अपनी कोख में देश की संस्कृति और परम्परा को संजोए हुए है और जहां बीज होता है वृक्ष वहीं से विस्तार पाता है। पुरातन को संजोते हुए नवीनतम विकास को आगे ले जाना है। इस विकास का असर पर्यटन पर आने वाले पर्यटकों पर भी पड़ रहा है। उन्होने बताया कि 2104 के मुकाबले काशी आने वालों की संख्या दो गुनी हो चुकी है। कोरोना काल के बावजूद इस बदलाव ने सिखाया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो बदलाव आना तय है।
उन्होंने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि दुनिया केमिकल को छोड़कर आर्गेनिक व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है। गाय इस व्यवस्था में बहुत उपयोगी हो सकती है। गोधन को केवल दूध के कारोबार से ही नहीं बल्कि खेती-किसानी से भी जोड़ना जरूरी हो गया है। काशी में 16 दिसम्बर को खेती किसानी के बारे में आयोजन होने जा रहा है। इस मिशन को जनान्दोलन बनाने के लिए आप सभी भूमिका निभा सकते हैं,क्योंकि जीरो बजट की खेती की जानकारी इस सम्मेलन में शामिल होकर लाखों लाख किसानों को इसके लिए प्रेरित कर सकते हैं।
इसके साथ ही एक बार फिर प्रधानमंत्री ने देश के मनोरथ को पूरा करने के लिए तीन संकल्पों को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि एक संकल्प हो कि हमें बेटी को पढ़ाना है। हमें बेटियों को स्किल डेवलपमेंट के लिए तैयार करना है। पानी बचाने के लिए हमें अपनी नदियों को गंगा जी समेत सभी जलस्रोतों को स्वच्छ रखना है।