नई दिल्ली। देश की सुप्रीम जाँच एजेंसी सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता अायोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट पर शुक्रवार को सुनवाई की । कोर्ट ने जांच रिपोर्ट को बंद लिफाफे में वर्मा को सौंपने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीवीसी ने आलोक वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी।
गौरतलब है कि सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों के रिश्वतखोरी विवाद में फंसने के बाद केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का अंतरिम प्रमुख नियुक्त कर दिया। जांच जारी रहने तक सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और नंबर दो अफसर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया। इसका आदेश देर रात 2 बजे जारी किया गया। विपक्ष ने सरकार के इस अचानक दखल पर सवाल उठाए है।
क्या है पूरा विवाद :
1984 आईपीएस बैच के गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आ गया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। इनमें 3 करोड़ एडवांस दिए गए। 2 करोड़ रुपए बाद में देने थे। वहीं, अस्थाना का आरोप है कि सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने ही 2 करोड़ रुपए की घूस ली थी।
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को फिलहाल बहाल नहीं किया गया है। कोर्ट की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।