नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती को करारा झटका देते हुए उनकी अर्जी खारिज कर दी है। मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा उन पर लगाए गए 48 घंटे के प्रतिबंध के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी जिस पर अदालत ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग से एक याचिका दाखिल करें
मायावती की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने दिन में प्रस्तावित महत्वपूर्ण बैठकों का हवाला देते हुए अदालत से उनकी दलील सुनने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप व्यथित हैं तो अलग से एक याचिका दाखिल करें।
मायवती ने कहा कि आयोग की यह पाबंदी लोकतंत्र की हत्या
बता दें कि बीते सोमवार देर रात प्रेस कांफ्रेंस में मायवती ने कहा कि आयोग ने सहारनपुर के देवबंद में दिये गये बयान पर उनकी सफाई को नजरअंदाज की। उन्होंने कहा कि आयोग की यह पाबंदी लोकतंत्र की हत्या है। मायावती ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत किसी को अपनी बात रखने से वंचित नहीं किया जा सकता, लेकिन आयोग ने अभूतपूर्व आदेश देकर मुझे बगैर किसी सुनवाई के असंवैधानिक तरीके से क्रूरतापूर्वक वंचित कर दिया। यह दिन काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा। यह फैसला किसी दबाव में लिया गया ही प्रतीत होता है।
निडर होकर बसपा तथा गठबंधन प्रत्याशियों को पूरा समर्थन दे भाजपा तथा अन्य विरोधियों की जमानत जब्त कराएं
मालूम हो कि आयोग ने बीते सात अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में आयोजित चुनावी रैली में खासकर मुस्लिम समुदाय से वोट मांगकर आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में सोमवार को किसी भी चुनावी गतिविधि में शामिल होने पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया। बसपा प्रमुख ने कहा कि हमें अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा है कि वह आयोग के इस फैसले के पीछे की मंशा को जरूर समझें और निडर होकर बसपा तथा गठबंधन प्रत्याशियों को पूरा समर्थन देकर भाजपा तथा अन्य विरोधियों की जमानत जब्त कराएं।
अगर आयोग की मंशा गलत नहीं थी, तो वह उसे एक दिन बाद उसे लागू करता
मायावती ने कहा कि आयोग को अच्छी तरह मालूम है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण कर मतदान 18 अप्रैल को है और प्रचार का समय कल 16 अप्रैल को खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग के इस आदेश के कारण वह मंगलवार को आगरा में होने वाली महागठबंधन की संयुक्त रैली में बसपा और गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में अपील नहीं कर सकेंगी। अगर आयोग की मंशा गलत नहीं थी, तो वह उसे एक दिन बाद उसे लागू करता।