लखनऊ। अयोध्या फैसले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा। अयोध्या मामले में फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड की मंगलवार को पहली बार बैठक हुई।
Abdul Razzaq Khan,Sunni Waqf Board: Majority decision in our meeting is that review petition in Ayodhya case should not be filed. pic.twitter.com/pwexHmprHb
— ANI UP (@ANINewsUP) November 26, 2019
बैठक में शामिल बोर्ड के सात में से छह सदस्यों ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का विरोध किया। बोर्ड के पदाधिकारी अब्दुल रज्जाक ने बोर्ड के फैसले का विरोध किया। वहीं, पांच एकड़ जमीन लेने के फैसले पर बोर्ड ने कहा कि जब हमें ऑफर की जाएगी तब निर्णय लेंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय ले चुका है।
मुस्लिम वादियों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मौजूदगी में ऐलान किया कि वे फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। इसके अलावा मामले में एक और पक्ष जमियत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि वह अलग से पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।
पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले वादियों में हाजी महबूब, मौलाना हिज्बुल्ला और अब्दुल अहद (मामले में पहले मुस्लिम वादी) के दोनों बेटे हाजी असद अहमद और हाफिज रिजवान शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि 70 साल तक चली कानूनी लड़ाई, 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला 9 नवंबर को फैसला दिया था। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।
कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।