diabetes

क्लास में इंसुलिन और ग्लूकोमीटर लेकर जा सकेंगे छात्र

177 0

लखनऊ। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Diabetes) के खतरों को देखते हुए योगी सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण द्वारा दिए गए निर्देशों को प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया है।

इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों (बेसिक) एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्वारा 0 से 19 वर्ष के छात्रों में टाइप-1 डायबिटीज (Diabetes) रोग के नियंत्रण के लिए प्रदेश सरकार से कार्यवाही सुनिश्चित करने की अपील की गई थी। इसके बाद योगी सरकार ने बाल संरक्षण एवं सुरक्षा के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र को योगी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग पर इस पर कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद की ओर से संयुक्त शिक्षा निदेशक (बेसिक) गणेश कुमार को इस पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने के लिए पत्र लिखा गया, जिसके बाद पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा द्वारा संचालित विद्यालयों में इसे लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है।

इन निर्देशों के अनुसार चिकित्सक द्वारा सलाह दिए जाने पर टाइप-1 डायबिटीज वाले बच्चों (Diabetic Students)  को ब्लड शुगर की जांच करने, इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने, मध्य सुबह या मध्य दोपहर का नाश्ता लेने या डायबिटीज एवं देखभाल गतिविधियां करने की अवश्यकता हो सकती है और शिक्षकों को परीक्षा के दौरान या अन्यथा भी कक्षा में इसे करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, बच्चा चिकित्सीय सलाह के अनुसार खेलों में भाग ले सकता है।

टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चे (Diabetic Students)  जो स्कूली परीक्षा और अन्य प्रतियोगी परीक्षा दे रहे हैं उन्हें अपने साथ चीनी की टैबलेट ले जाने की अनुमति दी जाएगी। दवाएं, फल, नाश्ता, पीने का पानी, कुछ बिस्किट, मूंगफली, सूखे फल परीक्षा हाल में शिक्षक के पास रखेंगे जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर परीक्षा के दौरान बच्चों को दिया जा सके। स्टाफ को बच्चों की परीक्षा हॉल में अपने साथ ग्लूकोमीटर और ग्लूकोज परीक्षण स्ट्रिप्स ले जाने की अनुमति देनी होगी, जिन्हें पर्यवेक्षक या शिक्षक के पास रखा जा सकता है।

गंगा किनारे कल्पवृक्ष रोपकर मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण महाभियान-2023 का किया शुभारंभ

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के डायबिटीज एटलस 2021 के डेटा के अनुसार दुनिया भर में सर्वाधिक टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की संख्या भारत में है। साउथ ईस्ट एशिया में 0 से 19 वर्ष के बीच इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों की यह संख्या 2.4 लाख से अधिक हो सकती है। भारत में कुल 8.75 लाख लोग इससे जूझ रहे हैं।

टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को प्रतिदिन 3-5 बार इंसुलिन इंजेक्शन लेने व 3-5 बार शुगर टेस्ट की आवश्यकता होती है। इसमें लापरवाही फिजिकल एवं मेंटल हेल्थ के साथ ही अन्य चुनौतियों का कारक बन सकती है। बच्चे अपने एक तिहाई समय स्कूलों में बिताते हैं, ऐसे में स्कूलों की ड्यूटी बनती है कि टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे बच्चों की स्पेशल केयर सुनिश्चित की जाए।

Related Post

Hi-tech medical services in every sector of Maha Kumbh

माघ पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की हिफाजत के लिए जल-थल-नभ में 133 एंबुलेंस तैनात

Posted by - February 11, 2025 0
महाकुम्भनगर: महाकुम्भ (Maha Kumbh) में माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) स्नान के मद्देनजर बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा…