नई दिल्ली। लीची एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर गुणवत्तापूर्ण फल है और कोई भी व्यक्ति एक दिन में नौ किलो तक लीची खा सकता है । लीची जो जल्दी ही देश के बाजारों में दस्तक देने वाली है। यह कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , विटामिन सी का खजाना और कई अन्य पोषक तत्वों से परिपूर्ण है। इसका एईएस ( चमकी बुखार ) से कोई लेना देना नहीं है ।
लीची का चमकी बुखार से कोई संबंध नहीं , शोध में खुलासा
भाभा परमाणु केंद्र मुंबई , राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केन्द्र पुणे और केंद्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुज़फ़्फ़रपुर ने लीची से चमकी बुखार को लेकर जो शोध किया है। उसमें इस बीमारी से उसका कोई संबंध नहीं बताया गया है । केंद्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक विशाल नाथ ने बताया कि लीची के फल पौष्टिक होते हैं जो जग जाहिर है । लीची के गूदे में विटामिन सी , फाॅस्फोरस और ओमेगा 3 जैसे तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं जिससे मानव स्वस्थ होता है ।
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डॉ विशाल नाथ ने बताया कि पिछले साल लीची को चमकी बुखार से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जोड़ा गया
डॉ विशाल नाथ ने बताया कि पिछले साल लीची को चमकी बुखार से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जोड़ा गया था, जिससे किसानों और व्यापारियों को बहुत समस्या हुई थी । इसी के बाद संस्थान ने लीची से बीमारी को लेकर अनुसंधान कराया था । उन्होंने बताया कि लीची के गूदे का स्विस चूहे पर प्रयोग किया गया । भूखे और सामान्य चूहे को दस घंटे तक लीची का गूदा भरपेट खिलाया गया, जिसके कारण उसमें हाइपोग्लासीमिया, भारहीनता अथवा वजन में कमी नहीं होने के साथ ही उसके सामान्य जीवन प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं देखा गया । उसके लीवर , किडनी और दिमाग ठीक से कम कर रहे थे और उसमें कोई बदलाव नहीं देखा गया । चूहों को लीची खाने से कोई परेशानी नहीं हुई ।
जिस व्यक्ति का वजन 60 किलोग्राम है वह लगभग चार किलो लीची का गूदा प्रतिदिन खा सकता है यानी नौ किलो लीची
इसका यह निष्कर्ष निकाला गया कि जिस व्यक्ति का वजन 60 किलोग्राम है वह लगभग चार किलो लीची का गूदा प्रतिदिन खा सकता है यानी नौ किलो लीची । इसी प्रकार से एक से पांच साल का बच्चा डेढ़ से तीन किलो लीची का फल खा सकता है । डॉ विशाल नाथ के अनुसार एक सौ ग्राम लीची में 16.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.5 ग्राम प्रोटीन , 171 मिलीग्राम पोटैशियम , 10 मिलीग्राम फाॅस्फोरस , 71.5 मिलीग्राम विटामिन सी , पांच मिलीग्राम कैल्सियम , ओमेगा 3 और 6 ,आयरन , सोडियम तथा कई अन्य तत्व पाए जाते हैंं।
बिहार में सालाना करीब तीन लाख टन लीची का उत्पादन होता है, जिसमें से 40 प्रतिशत की खपत महानगरों में होती है
बिहार में सालाना करीब तीन लाख टन लीची का उत्पादन होता है जिसमें से 40 प्रतिशत की खपत महानगरों में होती है जबकि 38 से 40 प्रतिशत की खपत राज्यों के बाजारों में होती है । कुछ लीची का निर्यात किया जाता है जबकि पांच छह प्रतिशत लीची का प्रसंस्करण किया जाता है । इस बार करीब 15 प्रतिशत लीची के प्रसंस्करण की योजना तैयार की गई है।
आम तौर पर 20 मई से लीची की फसल बाजार में आती थी, लेकिन इस बार इसके 30 मई तक बाजार में आने की उम्मीद है ।