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सोना झरिया मिंज बनीं देश की पहली आदिवासी महिला कुलपति, सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय में हुई नियुक्ति

सोना झरिया मिंज

सोना झरिया मिंज

रांची। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया व देश में जब चारों ओर निराशा व हताशा का माहौल है। इसी झारखंड के रांची एक ऐसी खबर आई है जो लोगों में नयी ऊर्जा का संचार किया और खुशी दी है।

झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने सोना झरिया मिंज को  सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है

बता दें कि सोना झरिया मिंज भारत की पहली आदिवासी महिला कुलपति बनी हैं। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने सोना झरिया मिंज को गुरुवार को सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है। इनके अलावा राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने गुरुवार को तीन विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति की है, जिनमें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति मुकुल नारायण देव और नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राम लखन सिंह बनाये गये हैं।

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सोना झरिया मिंज पिछले 28 साल से वे जेएनयू में कर रही हैं काम 

बता दें कि सोना झरिया मिंज को कुलपति बनाया जाना ऐतिहासिक है। वे भारत की पहली आदिवासी कुलपति हैं। सोना झरिया मिंज जेएनयू की छात्रा रही हैं और वर्तमान में वहीं पर ‘स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस’ विभाग में प्रोफेसर हैं। इसके पहले वह जेएनयू में टीचर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। सोना झरिया मिंज ने तमिलनाडु के क्रिश्चयन कॉलेज से गणित में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उसके बाद उन्होंने जेएनयू से दर्शनशास्त्र में एमफील और पीएचडी किया। इसके बाद जेएनयू में प्रोफेसर नियुक्त होने से पहले उन्होंने मध्यप्रदेश के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय और मदुरई के कामराज यूनिवर्सिटी में भी असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम कर चुकी हैं। बता दें कि पिछले 28 साल से वे जेएनयू में काम कर रही हैं।

सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय की स्थापना 1992 में तात्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव ने की थी

सोना झरिया मिंज झारखंड के प्रसिद्ध स्वतंत्रा सेनानी निर्मल मिंज की बेटी हैं।  हेमंत सोरेन द्वारा की गयी उनकी नियुक्ति की खूब प्रशंसा हो रही है। यह एक पिछड़े तबके को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश है। सिद्धो-कान्हो विश्वविद्यालय की स्थापना 1992 में तात्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव ने की थी।

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