लखनऊ: शनि देव (Shani) 05 जून को तड़के 03:16 बजे से कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं। 05 जून से 23 अक्टूबर तक कुंभ राशि में शनि वक्री (Shani Vakri) रहेंगे। कुल 141 दिन तक शनि की उल्टी चाल (Saturn Retrograde) रहेगी. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की दशा चल रही है, उनके लिए शनि की उल्टी चाल परेशानियां बढ़ा सकती है। ऐसे में आपको शनि देव को प्रसन्न करने और उनसे जुड़े उपायों को करने से राहत मिल सकती है। काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जाने हैं शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के ज्योतिष उपायों के बारे में।
शनि (shani) की साढ़ेसाती और ढैय्या के उपाय
शनि देव (shani) कर्म के आधार पर फल देने वाले देव हैं, इसलिए साढ़ेसाती और ढैय्या की दशा में सबसे पहले अच्छे कर्म करें। दूसरों पर दया और उपकार करें। झूठ, चोरी, लालच, निंदा, घृणा, व्यसन आदि से दूर रहें।
शनिवार के दिन या फिर प्रतिदिन आप शनि देव के बीज मंत्र ओम शं शनैश्चराय नम: या फिर ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। शनि देव प्रसन्न होंगे, आपको कष्टों से राहत मिलेगी।
साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचना है तो प्रत्येक शनिवार को शमी के पेड़ की सेवा करें, प्रतिदिन जल दें। शनिवार को शाम के समय शमी वृक्ष की पूजा करें और सरसों या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं। शमी को शनि देव से संबंधित पेड़ मानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपले के पेड़ पर शनि की छाया रहती है। शनि देव की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार को पीपले के पेड़ की जड़ में अर्घ्य दें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत मिलेगी।
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साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचने के शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और फिर शनि कवच या शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
शनि देव की कृपा पाने के लिए कुत्ता, गिद्ध, घोड़ा, हाथी, हिरण, मोर आदि को किसी प्रकार से हानि न पहुंचाएं. ये सभी शनि देव के वाहन हैं। संभव हो तो हर शनिवार को इनकी सेवा करें।
शनि देव को प्रसन्न करने के सबसे आसान उपायों में शनिवार का व्रत रखना और शनि चालीसा पाठ के बाद उनकी आरती करना है।