नई दिल्ली। 23 मार्च 1931 की रात को शहीद-ए-आजम भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। बता दें कि सरदार भगत सिंह ने देश की आज़ादी के लिए 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते अपने जीवन का बलिदान दे दिया था। तभी से हर साल 23 मार्च को इन तीनों शहीदों की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के एक गांव लायलपुर में 28 सितम्बर 1907 में हुआ
बता दें कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के एक गांव लायलपुर में 28 सितम्बर 1907 में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। 12 साल की उम्र में आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। 23 मार्च को मनाई जाने वाली 88 वीं पुण्यतिथि से पहले हम आपके लिए उनके पांच विचार हम आपको बता रहे हैं।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने राज्यसभा सांसद की शपथ , विपक्ष का वॉक आउट
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पांच विचार
- व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
- निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
- राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
- प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
- जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।