नई दिल्ली। भले ही आज के समय में एक रुपये कीमत नहीं है, लेकिन यही एक रुपया छतीसगढ़ के बिलासपुर में गरीब बच्चों को शिक्षित बना रहा है। इस सराहनीय कार्य को छतीसगढ़ के बिलासपुर की सीमा अंजाम दे रही हैं। सीमा फिलहाल कानून की पढ़ाई कर रही हैं।
गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं सीमा
इसके साथ-साथ सीमा समाजसेवा में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। वह गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। इसी के चलते उन्होंने एक मुहिम शुरू की थी, जिसका नाम था ‘एक रुपया मुहिम’। सीमा की इस मुहिम ने आगे चलकर एक अभियान का रूप ले लिया है, जो जरूरतमंद बच्चों के साथ-साथ असहाय लोगों की मदद भी कर रहा है। इसी मुहिम के तहत सीमा स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थाओं में जाकर बच्चों और शिक्षकों को जागरूक करती हैं। उनसे एक-एक रुपया लेती हैं। इसके बाद जो भी धन इकट्ठा होता है, उससे वह जरूरतमंदों की मदद करती हैं। अब तक वह पचास से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों की स्कूल फीस दे चुकी हैं।
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सीमा ने ‘एक रुपया मुहिम’ अगस्त 2016 में सीएमडी कॉलेज से की थी शुरू
सीमा ने ये मुहिम अगस्त 2016 में सीएमडी कॉलेज से शुरू की थी। उनकी इसी मुहिम के पहले प्रयास में केवल 395 रुपये इकट्ठा हुए थे। इस चंद राशि से सीमा ने एक सरकारी स्कूल की छात्रा की फीस भरी और उसे कुछ स्टेशनरी खरीद कर दी। उस छात्रा की मदद करते समय उन्हें अहसास हुआ कि कोई भी योगदान छोटा नहीं होता, क्योंकि ज़रूरी नहीं कि कुछ बड़ा करके ही अच्छा किया जाये, कभी-कभी छोटी-सी कोशिश का भी बड़ा असर हो जाता है।
ऐसे हुई प्रयास की शुरुआत
बता दें कि जब सीमा ग्रेजुएशन कर रहीं थीं। तो उनकी एक दोस्त, जो दिव्यांग थी। उसने ट्रायसाइकिल खरीदने में कॉलेज प्रशासन से मदद मांगी है। कॉलेज प्रशासन ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कुछ किया नहीं है। तब सीमा ने प्रयास शुरू किया। तो उन्हें पता चला कि दिव्यांगों को ये साइकिल फ्री मिलती है, लेकिन सीमा को ये बात नहीं पता थी। उन्होंने बेहद शरम महसूस की और जानकारी जुटाई। यहां से सीमा को एक नयी दिशा मिली। अपने शिक्षकों के सपोर्ट से उन्होंने जगह-जगह जाकर, खासकर कि शिक्षण संस्थानों में अलग-अलग विषयों पर बात करके युवाओं को सजग बनाने की योजना पर काम किया।
‘भिखारी’ की उपाधि पाकर भी सीमा चला रही हैं ‘एक रुपया मुहिम’
इस इवेंट में आने वाले सारे बच्चों से उन्होंने एक-एक रुपया दान करने के लिए कहा है। वैसे तो यह सिर्फ एक विचार था कि इस तरह से सभी छात्रों को यह सेमिनार याद रहेगा कि उन्होंने एक रुपया यहां दान दिया है, लेकिन एक छोटे-से विचार को सीमा ने मुहिम बना दिया। सीमा ने इस पैसे से 33 बच्चों की मदद की और छात्रों की फीस भरी। वह स्कूलों में जाकर वे प्रेरणादायक भाषण भी देती हैं। सीमा ने बताया कि पिछले तीन सालों में उन्होंने इस तरह के सेमिनार और अभियान में, एक-एक रुपया करके, दो लाख रुपये इकट्ठा किये हैं। इन रुपयों से वे 33 ज़रूरतमंद बच्चों की स्कूल की फीस के साथ-साथ उनकी किताब-कॉपी आदि का खर्च भी सम्भाल रही हैं। सीमा कहती हैं कि मैंने अपने कानों से लोगों को मुझे ‘भिखारी’ कहते हुए सुना है। कोई कहता कि देखते हैं कितने दिन तक यह मुहिम चलती है? लेकिन मुहिम चली भी और लोग सहयोग भी कर रहे हैं।