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क्या लिव-इन में रहने वाले भी पॉक्सो कानून के तहत दोषी होंगे : सुप्रीम कोर्ट

MADRAS HIGH COURT

MADRAS HIGH COURT

चेन्नई। लिव-इन रिलेशनशिप के जोड़े की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है। शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी कर युवक को पॉक्सो कानून (Pocso Act) के तहत सजा देने को लेकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

मद्रास हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अन्य एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को युवक के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। इस याचिका की सुनवाई जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने की।

जानकारी के मुताबिक, लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक युवती के साथ उसके ब्वॉयफ्रेंड ने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए थे। जब युवक ने शादी से इनकार कर दिया, तो युवती ने उसके खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया।

हालांकि, इस मामले की सुनवाई के दौरान युवती रेप की बात को नकार दिया था। साथ ही युवती ने युवक के साथ सहमति से संबंध रखने का खुलासा करते हुए लिव-इन रिलेशनशिप को आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी लेकिन, अदालत ने युवती की अनुमति को खारिज करते हुए युवक को पॉक्सो कानून (Pocso Act) के तहत 10 साल की सजा और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके साथ ही, युवती को हर्जाना स्वरूप एक लाख रुपये चुकाने का भी अदालत ने निर्देश दिया।

मामला जब मद्रास हाईकोर्ट में पहुंचा, तब यहां भी युवती की याचिका को खारिज कर दिया गया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है, जहां अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए युवक के खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है।

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