नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आम आदमी को झटका दिया है। एक अप्रैल 2021 से होम लोन की न्यूनतम ब्याज (SBI Home Loan Rates Increased) बढ़ गई है। एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार, ग्राहकों के लिए इस महीने से होम लोन की न्यूनतम दर 6.95 फीसदी हो गई है। पिछले महीने तक यह 6.70 फीसदी थी। यानी इसमें 25 आधार अंक या 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी (SBI Home Loan Rates Increased) की गई है। 100 आधार अंकों का अर्थ एक फीसदी होता है।
- एक अप्रैल 2021 से एसबीआई ने होम लोन की न्यूनतम ब्याज बढ़ा दी है।
- ग्राहकों के लिए इस महीने से होम लोन की न्यूनतम दर 6.95 फीसदी हो गई है।
- पिछले महीने तक यह 6.70 फीसदी थी।
महिलाओं को पांच आधार अंकों की छूट
बैंक की वेबसाइट पर बताया गया है कि होम लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क-लिंक्ड रेट (EBLR) से अधिक अंक ऊपर उपलब्ध है। ईबीएलआर रेपो रेट से जुड़ा है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तय करता है। मौजूदा समय में ईबीएलआर 6.65 फीसदी है। बैंक इस पर अतिरिक्त क्रेडिट रिस्क प्रीमियम लेता है, जिसके बाद होम लोन सात फीसदी पर उपलब्ध हैं। महिलाओं को इसमें पांच आधार अंकों की छूट मिलेगी। उनके लिए यह दर 6.95 फीसदी है।
अन्य बैंक भी उठा सकते हैं कदम
पिछले महीने तक एसबीआई ने सीमित अवधि के लिए 75 लाख रुपये तक का आवास ऋण 6.70 फीसदी ब्याज पर देने की पेशकश की थी। वहीं 75 लाख से पांच करोड़ रुपये के आवास ऋण पर ब्याज दर 6.75 फीसदी थी। एसबीआई द्वारा आवास ऋण की न्यूनतम दरों को बढ़ाए जाने के बाद अन्य बैंक भी इसी तरह कदम उठा सकते हैं।
इतना लगेगा प्रोसेसिंग शुल्क
बैंक ने आवास ऋण पर एकीकृत प्रोसेसिंग शुल्क भी लगाया है। यह ऋण की राशि का 0.40 फीसदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में होगा। प्रोसेसिंग शुल्क न्यूनतम 10,000 रुपये और अधिकतम 30,000 रुपये (और जीएसटी) होगा। पिछले महीने एसबीआई ने आवास ऋण पर प्रोसेसिंग शुल्क 31 मार्च तक माफ करने की घोषणा की थी।
पांच लाख करोड़ रुपये के पार आवास ऋण कारोबार
ग्राहक योनो एप के जरिए भी आवास ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। फरवरी में बैंक ने जानकारी दी थी कि उसका आवास ऋण कारोबार पांच लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। बैंक की रियल एस्टेट क्षेत्र और आवास कारोबार इकाई में पिछले 10 साल में पांच गुना वृद्धि हुई है। इकाई की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 2011 में 89,000 करोड़ रुपये थी, जो 2021 में बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।