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सरकार को ‘जन आर्शीवाद’ चाहिए, क्या किसानों के सिर तोड़कर लोगों का आर्शीवाद मिलेगा?

हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद किसानों के तेवर कृषि कानूनों को लेकर और भी गरम हो गए हैं।किसान नेता राकेश टिकैत ने करनाल में हुई घटना को लेकर ट्वीट कर लिखा- देश को बचाने के लिए किसान हर कुर्बानी देने को तैयार है। वहीं, आज शिवसेना ने हरियाणा में किसानों पर हुए लाठीचार्ज को ‘‘दूसरा जलियांवाला बाग’’ कांड करार दिया। सम्पादकीय में कहा- मनोहर लाल खट्टर की सरकार को सत्ता में बने रहने का अब कोई अधिकार नही हैं।

सम्पादकीय में कहा- सरकार किसानों से बात नहीं कर रही,  सरकार को ‘जन आर्शीवाद’ चाहिए। क्या किसानों के सिर तोड़कर उन्हें लोगों का आर्शीवाद मिलेगा? ‘सामना’ में कहा गया कि लाठीचार्ज की घटना भारत के किसानों को विद्रोह करने को लेकर उकसा सकती है और उनके बहे खून की एक एक बूंद का वह बदला ले सकते हैं। ‘‘ हरियाणा में किसानों के सिर पर लाठियां मारी गई, क्योंकि वे मुख्यमंत्री खट्टर के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। एक केन्द्रीय मंत्री, जिसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान दिया और जब उनके खिलाफ कानूनी तौर पर कार्रवाई की गई तो राज्य सरकार को असहिष्णु कहा गया। खट्टर सरकार की किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर आलोचक चुप क्यों हैं? ’’

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सरकार का दिल पत्थर का है। सरकार को ‘जन आर्शीवाद’ चाहिए। क्या किसानों के सिर तोड़कर उन्हें लोगों का आर्शीवाद मिलेगा?’’  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पुननिर्मित जलियांवाला बाग परिसर का एक ऑनलाइन कार्यक्रम में उद्घाटन किया था।  पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी और शांतिपूर्ण सभा पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे।

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