चीन द्वारा तालिबान को धन मुहैया कराने संबंधित चिंता लेकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘तालिबान के साथ चीन की वास्तविक समस्या है। इसलिए वे तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश करने जा रहे हैं, मुझे यकीन है। जैसा पाकिस्तान करता है, वैसा ही रूस करता है, जैसा ईरान करता है। वे सभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि तालिबान अब क्या करता है।
China has real problem with Taliban. So they're going to try to work out some arrangement with Taliban, I'm sure. As does Pakistan, as does Russia, as does Iran. They're all trying to figure out what do they do now:US Pres when asked if he is worried that China would fund Taliban pic.twitter.com/cLFQ2zhNbp
— ANI (@ANI) September 8, 2021
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी कार्यवाहक सरकार की घोषणा की है। तालिबान ने अपनी कैबिनेट में अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी को मंत्री बनाया है। बाइडन का यह बयान चीन के विदेश मंत्री यांग यी और अफगान तालिबान के राजनीतिक आयोग के मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बीच हुई मुलाकात की पृष्ठभूमि में आया है। इसके अलावा अफगानिस्तान में चीन के आर्थिक हित भी जुड़े हैं। रिपोर्टों की मानें चीनी कंपनियों को अफगानिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों की खुदाई का अधिकार पहले से है।
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I can't believe this is even necessary to say, but under this administration, it is: America must not recognize the Taliban as the legitimate government of Afghanistan.
Sign this petition if you agree:https://t.co/vxA1AIwjc6
— Nikki Haley (@NikkiHaley) September 7, 2021
तालिबान को उम्मीद ये देश उसकी सरकार को मान्यता दे सकते हैं। इसलिए वह इन देशों के साथ नरमी बरतता दिख रहा है। वहीं, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने ऐसा संकेत दिया है कि वे तालिबान सरकार को मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं दिखाएंगे। वे इस नई सरकार के कामकाज को देखने के बाद इस बारे में कोई फैसला करेंगे। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व प्रतिनिधि निक्की हेली ने तालिबान सरकार को मान्यता न देने के लिए ऑन लाइन अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका को तालिबान की इस सरकार को निश्चित तौर पर मान्यता नहीं देनी चाहिए।