नई दिल्ली। आधुनिक जीवन शैली में महिलाएं शिशु को दूध पिलाने के लिए प्लास्टिक के बेबी फीडर का सहारा लेती हैं, लेकिन सतर्क होने की जरुरत है। क्योंकि एक शोध के मुताबिक, बेबी फीडर या प्लास्टिक बोतल (plastic bottles) से दूध पिलाना आपके शिशु के स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद हानिकारक साबित हो सकता है।
आयरलैंड के शोधकर्ताओं ने बताया कि शिशु को बोतल से दूध पिलाने पर प्रत्येक दिन उनके शरीर में एक मिलियन से अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स प्रवेश करते हैं। सोमवार को शोधकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक की मात्रा कितनी बढ़ती जा रही है। शोधकर्ताओं को अध्ययन में इस बात के भी सबूत मिले हैं कि व्यक्ति रोजाना खाद्य पदार्थों में बड़ी संख्या में प्लास्टिक के छोटे-छोटे हानिकारक कणों को अवशोषित कर रहे हैं।
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शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 10 प्रकार की बेबी बोतल या पॉलीप्रोपाइलीन से बने सामान में माइक्रोप्लास्टिक के रिसाव को पाया है। पॉलीप्रोपाइलीन प्लास्टिक के खाद्य कंटेनरों को बनाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल में लाया जाता है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए बंध्याकरण और सूत्र तैयार करने की शर्तों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आधिकारिक दिशा निर्देशों का भी पालन किया है।
21 दिन के इस परीक्षण में टीम ने पाया कि प्लास्टिक की बोतल प्रति लीटर 1.3 और 16.2 मिलियन प्लास्टिक के माइक्रोप्रार्टिकल्स का रिसाव करती है। फिर उन्होंने इस डेटा का उपयोग स्तनपान की राष्ट्रीय औसत दरों के आधार पर बोतल से दूध पिलाने पर वैश्विक स्तर पर शिशु को होने वाले संभावित जोखिमों को पहचाना। उन्होंने औसत अनुमान लगाया कि बोतल से दूध पीने वाला बच्चा अपने जीवन के पहले 12 महीनों के दौरान हर दिन 1.6 मिलियन प्लास्टिक के माइक्रोपार्टिकल्स का सेवन करता है।
नेचर फ़ूड पत्रिका में प्रकाशित हुए इस शोध के लेखक ने कहा कि बंध्याकरण और पानी के उच्च तापमान की स्थिति में प्लास्टिक के माइक्रोपार्टिकल्स के रिसाव का बड़ा प्रभाव देखने को मिला है। जो प्रति लीटर 0.6 मिलियन कण के औसतन 25C से 55 मिलियन प्रति लीटर 95C पर जा रहा है। शोधकर्ताओं ने बताया कि शोध ‘नॉट टू वरी पेरेंट्स’ का उद्देश्य बोतल माइक्रोप्लास्टिक के संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में बताने का है।