नई दिल्ली। यह तो लगभग सभी लोग जानते हैं कि मां का दूध बच्चों के लिए अमृत से कम नहीं होता। यह शिशु को पोषण देता है और उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए शोध में पता चला है कि मां का दूध न केवल बच्चों के दिमाग के विकास में सहायक
हाल ही में अमेरिका में हुए एक शोध में इसके चमत्कारी उपायों का खुलासा हुआ है। इस रिसर्च में पता चला है कि मां का दूध पीने से शिशु का दिमाग बहुत तेज होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए शोध में पता चला है कि मां का दूध न केवल बच्चों के दिमाग के विकास में सहायक होता है, बल्कि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट ओलिगोसैकाराइड2 एफएल संज्ञानात्मक (ज्ञान संबंधी) विकास में भी मदद करता है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने 50 माताओं और उनके बच्चों पर शोध किया
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने 50 माताओं और उनके बच्चों पर शोध किया है। शोधकर्ताओं ने मां के दूध में मौजूद तत्वों और एक से छह महीने के बच्चों को दूध पिलाने की आवृत्ति का विश्लेषण किया है। जब इन बच्चों की उम्र 24 महीने हो गई तो बेले-3 स्केल की मदद से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को मापा गया। यह एक ऐसा परीक्षण है जिससे बच्चे के दिमागी विकास के बारे में पता लगाया जाता है।
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मां के दूध के कई नमूनों में उन्होंने ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा की पहचान की
शोधकर्ता लार्स बोड के मुताबिक मां के दूध के कई नमूनों में उन्होंने ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा की पहचान की। यह तकनीक हमें दूध में मौजूद तत्वों में अंतर करने की क्षमता देती है। इससे बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं। रिसर्च मैगजीन प्लोस वन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया कि मां के दूध में पहले के एक महीने में मौजूद ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा का संबंध दो साल के उम्र के बच्चों के संज्ञानात्मक विकास से था।
जन्म के बाद शुरुआती महीने में मां के दूध का सेवन करने से बच्चों का अच्छा होता है संज्ञानात्मक विकास
इससे पता चलता है कि जन्म के बाद शुरुआती महीने में मां के दूध का सेवन करने से बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अच्छा होता है। शुरुआती दो साल में बेहतर संज्ञानात्मक विकास होने से बच्चों के जीवन पर लंबा प्रभाव पड़ता है। वे स्कूल और विभिन्न कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। यह रिसर्च शिशु के लिए मां के दूध की महत्ता पर बल देती है। कुछ महिलाएं अपना फिगर मेंटेन करने के लिए अपने शिशु को दूध पिलाना पसंद नहीं करती, लेकिन डॉक्टर इसे जरूरी बताते हैं।