लखनऊ। यूपी में गणतंत्र दिवस के दिन अंग्रेजों के समय से इस्तेमाल हो रही है। राइफल 3 नॉट 3 को विदाई दे दी गई। हालांकि, इनमें से कुछ राइफल का इस्तेमाल ट्रेनिंग में किया जाता रहेगा। यूपी पुलिस को हाईटेक बनाने की प्रक्रिया में अंग्रेजों के जमाने की इस राइफल को आखिरी विदाई दी गई। 3 नॉट 3 की विदाई के साथ साथ इंसास और एसएलआर जैसी राइफलों की खूबियां और कमियों की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
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यूपी की पुलिस इंसास और एसएलआर जैसी राइफलों का इस्तेमाल करेगी। वहीं, देश की सेना को एके-203 राइफल का सौंपे जाने की तैयारी है। जिसका निर्माण अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किया जा रहा है। बता दें कि इस फैक्ट्री में पहले इंसास राइफलों का निर्माण किया जा रहा था।
अमेठी में बन रही है असॉल्ट राइफल
इस राइफल को रूस में विकसित किया गया है और ये एक अत्याधुनिक हथियार है। भारतीय सेना की योजना आने वाले वक्त में AK-203 असॉल्ट राइफल को इस्तेमाल में लाने की है। जिसके लिए पहले ही टेंडर जारी किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं देश में ही इस राइफल के निर्माण की घोषणा हो चुकी है। यूपी के अमेठी में स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में रूस के सहयोग से इस राइफल का निर्माण शुरु हो चुका है। अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में करीब 7.50 लाख राइफल्स का निर्माण होगा। सेना के बाद अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस को भी AK-203 राइफल दी जाएंगी।
क्या है AK-203 की खूबियां?
एके-203 (AK-203) राइफल में कई खूबियां हैं। AK-203 राइफल का वजन काफी कम है। पूरी तरह से लोड होने पर भी इस राइफल का वजन 4 किलो के आसपास होगा। हाईटेक AK-203 राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकेंगी और इससे 400 मीटर की दूरी पर मौजूद किसी दुश्मन पर अचूक निशाना लगाया जा सकेगा। इसमें एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक दोनों तरह के वैरियंट मौजूद होंगे।
एके-203 अचूक निशाना, ग्रेनेड लॉन्चर से लैस
एके-203 की मैग्जीन में 30 गोलियां होंगी। इस राइफल के जरिये 400 मीटर तक निशाना साधा जा सकता है। इस राइफल की नली में ग्रेनेड लॉन्चर भी मौजूद होगा। जिसका जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये राइफल चलने पर जाम नहीं होती, जबकि इंसास राइफल के साथ सबसे बड़ी दिक्कत जाम होने की है।
यूपी में पुलिस ने 1945 से इस राइफल का इस्तेमाल शुरू किया
303 को सबसे पहले ब्रिटिश आर्मी ने इस्तेमाल करना शुरू किया था। प्रथम विश्वयुद्ध में ये राइफल इस्तेमाल हुई थी। पुलिस मामलों के जानकार दीपक राव के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने लिखा है कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद अंग्रेज़ सरकार ने भारत में पुलिस को 303 देना शुरू किया था। इसका इस्तेमाल बैंक, सरकारी दफ्तर और अदालतों की सुरक्षा में किया जाता था। पुलिस जवान राइफलों का इस्तेमाल करते थे और अधिकारी पिस्टल का। यूपी में पुलिस ने 1945 से इस राइफल का इस्तेमाल शुरू किया।
गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में गार्ड ऑफ ऑनर के लिए 303 का ही इस्तेमाल किया
दुनिया के कई देश इस राइफल को दशकों पहले रिटायर कर चुके हैं। भारत में भी इन्हें फरवरी 1995 में ही obsolete करार दे दिया गया था,लेकिन अभी तक इन्हें फेज़ आउट नहीं किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 63 हज़ार इंसास और 23 हज़ार SLR यूपी के अलग-अलग पुलिस स्टेशन्स पर भेजी गई हैं। यूपी पुलिस ने अपने जवानों से 303 इस्तेमाल न करने को कहा है। इतने लंबे वक्त तक इस राइफल की सर्विस के सम्मान में यूपी पुलिस ने फैसला लिया है कि इस साल सभी ज़िलों में गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में गार्ड ऑफ ऑनर के लिए 303 का ही इस्तेमाल किया जाएगा।