मराठी सिनेमा और रंगमंच की मशहूर हस्ती भावे पिछले दो महीने से फेफड़ों संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। भावे (Sumitra Bhave) के साथ पिछले 35 साल से काम कर रहे सुख्तनकर ने कहा कि भावे ने सोमवार की सुबह महाराष्ट्र के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
सुमित्रा भावे (Sumitra Bhave) को उनके बेहतरीन काम के लिए कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद एक समाज कल्याण संस्था के साथ काम शुरू किया और पुणे स्थित कर्वे इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में अध्यापन का काम किया। इसके बाद उन्होंने समाचार वाचक के रूप में भी सेवाएं दीं।
उन्होंने 1985 में अपनी पहली लघु फिल्म ‘बाई’ बनाई, जिसे कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। भावे और सुख्तनकर ने निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखते हुए 1995 में ‘दोघी’ फिल्म बनाई, जिसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
इसके अलावा, उन्होंने ‘देवराई’ (2004), ‘घो माला असाला हवा’, ‘हा भारत माजा’, ‘अस्तू – सो बीट इट’, ‘संहिता’, ‘वेलकम होम’, ‘वास्तुपुरुष’, ‘दाहवी फा’ और ‘कासव’ समेत कई अच्छी फिल्में दीं।