देहरादून। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) शुक्रवार को देवभूमि-वीरभूमि उत्तराखंड के सैनिक बहुल पहाड़ी मतदाताओं के बीच भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल बना गए। दरअसल, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में सैनिक पृष्ठभूमि के मतदाताओं की संख्या अधिक है। अधिसंख्य परिवारों के बच्चे या तो सेना में हैं या फिर सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
भाजपा के पक्ष में वोट मांगने उत्तराखंड आए राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शुक्रवार को अपनी चुनावी जनसभाओं में कहा कि आप लोग केवल सांसद नहीं चुन रहे हैं… तो पूरा जनसभा स्थल ‘अबकी पार 400 पार’ के नारे से गूंज उठा। इस पर उन्होंने कहा कि वाह रे उत्तराखंड! इशारा ही काफी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि मुझे तो कभी-कभी बेहद आश्चर्य होता है कि उत्तराखंड के लोग कितने बड़े मन के हैं।
भाजपा नेताओं का मानना है कि रक्षा मंत्री के दौरे से लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुत बड़ा फायदा होगा। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी दो अप्रैल फिर 11 अप्रैल को उत्तराखंड दौरे पर आए थे। उन्होंने रुद्रपुर और ऋषिकेश में जनसभाओं को संबोधित किया था। वह प्रदेश की जनता के दिलों में उतरकर उत्तराखंड को लेकर खास संदेश दे गए हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आध्यात्मिक धरती उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग सेना में भर्ती होते हैं। सेना के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में कितना बड़ा सम्मान है, यह उत्तराखंड के लोगों को बताने की आवश्यकता नहीं है। हिन्दुस्तान का हर सैनिक-हर नागरिक सच्चाई जानता है।
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रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि मैं जब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री था, उसी समय उत्तर प्रदेश का विभाजन हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश अलग और उत्तराखंड अलग राज्य बना। पूर्व सैनिकों के लिए लंबे समय से वन रैंक-वन पेंशन लागू किए जाने की मांग की जा रही थी। 2013 में जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित हुए तो उस समय मैं भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष था। उस समय नरेन्द्र मोदी हरियाणा में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करने जा रहे थे, जिसमें अधिकांश पूर्व सैनिक थे। वहीं सभा में मोदी ने घोषणा कर दी कि भाजपा सरकार बनने पर वन रैंक-वन पेंशन लागू कर दी जाएगी और सरकार बनते ही वन रैंक-वन पेंशन लागू हो गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि यदि मैं कहूं कि उत्तराखंड की धरती आध्यात्मिक भूमि है,आध्यात्म की धरती है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां तक कि भारत की सीमा को सुरक्षित करने में अहम योगदान देने का काम यदि कोई राज्य करता है तो वह उत्तराखंड राज्य है। अपनी जिंदगी हथेली पर लेकर देश सीमा की रक्षा करना कोई आसान नहीं है।