कपालभाति प्राणायाम

राजयोग नकारात्मक विचारों और मनोविकारों को दूर करने में सहायक

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नई दिल्ली। पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी के प्रकोप से व्यक्ति न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है, बल्कि वह भय, तनाव और अवसाद से भी ग्रस्त है। जिससे उबरने में राजयोग मददगार हो सकता है।

आसन , प्राणायाम आदि तन-मन को स्वस्थ रखने में यह सहायक हैं, लेकिन राजयोग नकारात्मक विचारों और मनोविकारों को दूर करने में सहायक

ब्रह्माकुमारी संगठन के अनुसार आजकल लोग जिस तरह की जीवन शैली अपना रहे हैं, उससे जीवन में तनाव और अवसाद पहले ही बढ़ रहा था, कोरोना वायरस ने इसे और बढ़ा दिया है। आसन , प्राणायाम आदि तन-मन को स्वस्थ रखने में यह सहायक हैं, लेकिन राजयोग नकारात्मक विचारों और मनोविकारों को दूर करने में सहायक है। यह सकारात्मक सोच के साथ-साथ मनोबल और मानसिक शांति को बढ़ाता है।

राजयोग अपने आप में एक सम्पूर्ण योग विद्या है तथा एक सुखद और सफल जीवन जीने की उत्कृष्ट कला

राजयोग अपने आप में एक सम्पूर्ण योग विद्या है तथा एक सुखद और सफल जीवन जीने की उत्कृष्ट कला है। यह व्यक्ति को अज्ञानता, अहंकार, विकार, व्यसन, बंधन, दुःख, कष्ट, रोग, शोक आदि सभी प्रकार की नकारात्मकता से मुक्त कराती है तथा सर्वांगीण स्वास्थ्य, सुख-शांति, समृद्धि प्रदान करती है।

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राजयोग, आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर आत्मचिंतन एवं परमात्मा का ध्यान करने की एक मानसिक, बौद्धिक एवं भावनात्मक प्रक्रिया

राजयोग, आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर आत्मचिंतन एवं परमात्मा का ध्यान करने की एक मानसिक, बौद्धिक एवं भावनात्मक प्रक्रिया है। इसे कोई भी, कहीं पर और किसी भी सहज मुद्रा में कर सकता है। किसी शांतिपूर्ण स्थान चाहे वह शयन कक्ष हो, बगीचा हो या घर की छत हो, वहां कुर्सी पर या फ़र्श पर आराम से बैठ कर राजयोग ध्यान कर सकते हैं। सिर्फ यह ध्यान रखना है कि आलस या नींद नहीं आए क्योंकि यह कोई शारीरिक योगासन या व्यायाम नहीं है।

ध्यान के दौरान यह महसूस करें कि आप आत्मा, परमात्मा के स्नेह और शक्ति की छत्र छाया में स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं

ध्यान के दौरान यह महसूस करें कि आप आत्मा, परमात्मा के स्नेह और शक्ति की छत्र छाया में स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं। आपका परिवार, परिवेश, समाज, देश और समग्र विश्व इस ‘आत्मा-परमात्मा योग’ की शक्ति से शुद्ध, स्वच्छ, स्वस्थ एवं सुख-शांतिमय बनते जा रहे हैं। यह विचार लायें कि कोरोना महामारी जैसे आई थी, वैसे ही जा रही है। संसार की विकट परिस्थिति स्वस्थ एवं सुंदर स्थिति में परिवर्तित होती जा रही है। शुद्धता, सुस्वास्थ्य एवं समृद्धि का आगमन हो रहा है। सब ठीक होता जा रहा है।

इसे बच्चे, बूढ़े, नौजवान, दिव्यांग, गरीब, अमीर सभी तरह के लोग कर सकते है

ब्रह्माकुमारी संस्था के अनुसार प्रतिदिन दो-तीन बार इस तरह से ध्यान लगाने से मानसिक बीमारी एवं मनोविकारों से लड़ने का पर्याप्त मनोबल और आत्मबल मिल सकता है। इसे बच्चे, बूढ़े, नौजवान, दिव्यांग, गरीब, अमीर सभी तरह के लोग कर सकते है। संस्था इसे निशुल्क सिखाती है। संस्था के राजयोग सेवा केंद्रों में इसका प्रशिक्षण लिया जा सकता है जो भारत एवं 140 देशों में स्थित हैं। घर में बैठ कर भी लोग इसे ऑनलाइन तथा पत्राचार के माध्यम से सीख सकते हैं।

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