मात्र चार महीने में 3047 हैंडपंपों की रिबोरिंग और 7261 हैंडपंपों की मरम्मत के मामले में डिप्टी सीएम के गंभीर होने के बाद जिले में हड़कंप मच गया है। प्रशासकों ने मरम्मत और रिबोरिंग के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।कई हैंडपंपों के मामले में तो बिना रिबोरिंग कराए ही प्रशासकों ने बजट डकार लिया। हालांकि डीएम के स्तर पर शिकायतें पहुंचने के बाद जांच अटकी है। डिप्टी सीएम के जांच के आदेश के बाद सभी अपनी गर्दन बचाने में जुट गए हैं।
उप मुख्यमंत्री व जिले के प्रभारी डॉ. दिनेश शर्मा ने पांच अगस्त को बचत भवन में विकास और अधूरे कार्यों की समीक्षा की थी। समीक्षा के दौरान डिप्टी सीएम की नजर में आया कि अप्रैल से अब तक जिले में 3047 हैंडपंप रिबोर कर दिए गए हैं। इसमें करीब 8.37 करोड़ का भुगतान भी किया गया है।
जिले में 7261 हैंडपंपों की मरम्मत भी कराई गई है। कम समय में इतने अधिक हैंडपंपों की रिबोरिंग की पोल खुलते ही डिप्टी सीएम ने जांच कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने रिबोरिंग की संस्तुति करने वाले अधिकारियों की रिपोर्ट भी जांच में शामिल करने के आदेश दिए हैं।
डिप्टी सीएम के आदेश के बाद जिले में हड़कंप मच गया है क्योंकि पूर्व प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद गांवों का प्रशासक बनाए गए सहायक विकास अधिकारियों ने ही रिबोरिंग और हैंडपंपों की मरम्मत का काम कराने के साथ ही भुगतान किया है।
बिना रिबोरिंग के भुगतान से संबंधित कई मामले डीएम के स्तर तक पहुंच चुके हैं। आदेश के बाद भी अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। मामले की जांच कराने के लिए कवायद शुरू हो गई है। निष्पक्ष जांच कराए जाने के बाद प्रशासकों के कारनामे उजागर होने की उम्मीद है।
गांवों की जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रशासकों ने विकास के नाम पर खूब खेल किया है। कई प्रशासकों व सचिवों को पूर्व में मामले पकड़ में आने के बाद नोटिस भी दिया जा चुका है। यह दीगर बात है कि नोटिस देने के बाद फाइलों को दबा दिया गया है।
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जांच के नाम पर पंचायतीराज विभाग पूरी तरह से सुस्त रवैया अपनाए हुए है। ग्राम पंचायतों में खर्च किए गए बजट की ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद भी जिले स्तर पर समीक्षा के नाम पर खानापूरी की जा रही है। जिला पंचायतराज अधिकारी उमाशंकर मिश्रा का कहना है कि वित्तीय वर्ष में अब तक रिबोर किए गए हैंडपंपों के संबंध में पूरी रिपोर्ट सहायक विकास अधिकारियों से मांगी गई है। ब्लॉकों की पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की जांच संबंधी प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी। रिबोरिंग में गड़बड़ी पकड़ में आएगी तो संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।