उत्तर प्रदेश में कई जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। पूर्वांचल के कई जनपदों में गंगा खतरे का निशान पार कर चुकी हैं। बनारस, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, बलिया में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। यहां के गांवों में घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। लोगों का जनजीवन काफी प्रभावित है। बनारस में मंगलवार दोपहर 12 बजे तक गंगा का जलस्तर 71.79 मीटर पहुंच गया। जो खतरे से 53 सेंटीमीटर ऊपर है।
वाराणसी में गंगा का खतरा बिंदु 71.26 मीटर है। बता दें कि वाराणसी में सबसे भयंकर बाढ़ 1978 में आई थी। मणिकर्णिका घाट पर शवदाह करने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गलियों तक पानी भर जाने से नावों के जरिए शवों को घाट तक ले जाना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट का निचला इलाका जलमग्न होने के कारण छतों पर ही शवदाह किया जा रहा है। वहीं हरिश्चंद्र घाट पर सीढ़ियां भी डूब गई हैं। गलियों और ऊंचे स्थानों पर शवदाह कराया जा रहा है।
नए वेरिएंट की चिंता, दो तरीकों से की जा रही निगरानी
बनारस में गंगा का जलस्तर बढ़ने से हर साल बाढ़ की समस्या पैदा होती है। इसके पूर्व में 2019 में गंगा का जलस्तर अधिकतम 71.46 मीटर तक पहुंचा था। 2013 और 2016 के बाद 2019 में गंगा ने खतरे का निशान पार किया था। इसके पूर्व 1978 की बाढ़ में अधिकतम जलस्तर 73.90 मीटर तक पहुंच गया था। मंगलवार को वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा और पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश व मंत्री नीलकंठ तिवारी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों के हालात जाने। लोलार्क कुंड में गंगा का पानी पहुंच गया।