बेंगलूरु। कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार के निधन से सभी सदमे में हैं। किसी को यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि एक्टर अब हम सभी को छोड़कर यहां से चले गए हैं। गौरतलब है कि, जीवित रहने के दौरान हजारों जिंदगियों में खुशियां बिखेरने वाले अभिनेता पुनित राजकुमार जाते-जाते भी अपनी आखें दान कर के चार जिंदगियों को रोशन कर गए। अपने पिता डॉ. राजकुमार की तरह पुनीत ने भी अपनी आखें दान करने का संकल्प लिया था और मौत के बाद उनके परिवार ने उनकी इच्छा पूरी की।
बता दें कि विक्रम सुबह जिम में वर्क आउट कर रहे थे और उसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। तब डॉक्टर्स ने स्टेटमेंट जारी कर रहा था कि पुनीत की हालत काफी गंभीर है और हम उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि लाख कोशिशों के बाद भी पुनीत को नहीं बचाया जा सका। लेकिन जाते-जाते भी पुनीत ने ऐसा नेक काम किया जिसके लिए हमेशा उन्हें याद किया जाएगा। दरअसल, पुनीत के पिता की तरह ही एक्टर के परिवार वालों ने पुनीत की आंखों को भी शुक्रवार को डोनेट कर दिया गया था। एक्टर के निधन के 6 घंटे बाद इस प्रोरेस को पूरा किया गया।
कॉर्निया दान का इंतजार कर रहे मरीजों की प्रतिक्षा सूची पहले से ही तैयार थी। प्राथमिकता के आधार पर मरीजों के चयन में मिंटो सरकारी आई अस्पताल ने भी मदद की। चारों लाभान्वित प्रदेश के युवा निवासी हैं। सभी 4 मरीजों की उम्र 20-30 साल की है।
नारायण नेत्रालय के अध्यक्ष डॉ. भुजंग शेट्टी ने सोमवार को बताया कि कॉर्निया चार मरीजों के काम आई। आम तौर पर एक कॉर्निया एक मरीज में प्रत्यारोपित की जाती है। लेकिन इस मामले में विशेष तकनीक का इस्तमाल कर दोनों कॉर्निया को चार भागों में बांटा गया।
प्रत्येक कॉर्निया की ऊपरी व अंदरूनी परत को अलग कर दो मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। इस तरह कुल चार लोग फिर से देख सकेंगे। बता दें कि बीती शनिवार को सफल प्रत्यारोपण हुआ। चारों मरीज स्वस्थ हैं और चिकित्सकीय निगरानी में हैं।
उन्होंने बताया कि लाभार्थियों की जानकारी लीक नहीं हो इसके लिए शनिवार को कुल छह प्रत्यारोपण किए गए। छह कॉर्निया सर्जन ने प्रत्यारोपण में अहम भूमिका निभाई। शनिवार सुबह करीब 10.30 बजे प्रत्यारोपण सर्जरी शुरू हुई, जो करीब शाम 6.30 बजे तक चली। नारायण नेत्रालय में इस तरह का यह पहला प्रत्यारोपण है।
वहीं लिम्बल रिम (कॉर्निया की परिधि के पास आंखों का सफेद भाग) को संरक्षित कर लैब में रखा गया है। इसके स्टेम सेल भविष्य में रासायनिक चोटें, एसिड बर्न और अन्य गंभीर विकार के मरीजों के लिए वरदान साबित होंगे।
डॉ. शेट्टी ने कहा कि प्रदेश में नेत्रदान को बढ़ावा देने में डॉ. राजकुमार व उनके परिवार ने अहम भूमिका निभाई है। नारायण नेत्रालय ने पहले भी डॉ. राजकुमार और उनकी पत्नी पर्वतम्मा राजकुमार की आंखों का प्रत्यारोपण किया है। डॉक्टर ने बताया कि पुनीत के पिता डॉक्टर राजकुमार ने ये प्रण लिया था कि वह और उनके परिवार के सभी मेंबर्स निधन के बाद अपनी आंखे डोनेट करेंगे और परिवार ने अपने वादे को पूरा किया। इतने मुश्किल समय के बावजूद उन्होंने मुझे फोन किया और आंखें डोनेट के बारे में कहा। वे सब काफी ब्रेव हैं।