कोरोना संकट के बीच दो अन्य सरकारी बैंकों को निजी हाथों में देने की तैयारी शुरु हो गई है, इसकी आहट के साथ ही दोनों बैंको के शेयर में तेजी देखी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान ही निजीकरण की बात कही थी, अब इंडियन ओवरसीज बैंक एवंं सेंट्रल बैंंक ऑफ इंडिया का चयन किया है।
निजीकरण ने नीति आयोग से इन्हीं दोनों बैंंको के नाम की सिफारिश की थी, इसके लिए सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव करेगी। ये दोनों ही बैंक छोटे हैं इसलिए निजीकरण में जोखिम कम होगा, सरकारी बैंको को घटाने के क्रम में सरकार पिछले साल 10 बैंको को 4 बैंको में विलय कर चुकी है। गौरतलब है कि सरकार खर्चा घटाने में जुटी है, 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखे हुए है।
नीति आयोग की इस रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में मदद करने के लिए नियामकीय पक्ष में बदलाव शुरू किया जाएगा आपको बता दें कि वित्त मंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा उनके कम्रचारियों की नौकरी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। उनके हितों की पूरी रक्षा की जागी और उनकी सैलरी और पेंशन का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
रॉयटर्स की खबर में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सरकार अपने पास सिर्फ चार-पांच बैंक ही रखना चाहती है। इस समय देश में 12 सरकारी बैंक हैं। अधिकारी ने कहा कि प्राइवेटाइजेशन का पूरा खाका तैयार किया जा रहा है। पूरी योजना को जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।