नई दिल्ली। कोरोना वायरस के देश में बढ़ते संक्रमण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को महत्वपूर्ण निर्देश दिया। कोर्ट ने सरकार को कहा कि कोरोना का टेस्ट फ्री में होनी चाहिए। इतना ही नहीं, कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे यदि किसी को प्राइवेट लैब में जांच के लिए जाना पड़े। तो उनका पैसा रिइम्बर्स किया जा सके। अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि प्राइवेट लैब को कोरोना की जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
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डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ योद्धा हैं, इन लोगों की सुरक्षा बेहद जरूरी
बता दें कि कोर्ट में निजी लैब में कोरोना की जांच के लिए 4500 रुपए तक लेने की इजाजत देने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि कोरोना का टेस्ट मुफ्त में होना चाहिए। याचिका में कोरोना टेस्ट और उसके रोकथाम में लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की भी मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये लोग योद्धा हैं और उनकी और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा बेहद जरूरी है।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्राइवेट लैब को कोरोना की जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्राइवेट लैब को कोरोना की जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। इस दौरान सरकार की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने बताया कि अभी 118 लैब प्रति दिन 15000 टेस्ट क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। अब हम 47 प्राइवेट लैब को भी टेस्ट की इजाजत देने वाले हैं। यह एक विकासशील स्थिति है। हमें नहीं पता कि कितने लैब की जरूरत होगी और कब तक लॉकडाउन जारी रहेगा?
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सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एसजी तुषार मेहता ने कहा कि इन सभी सुझावों पर विचार करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट लैब को कोरोना की जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। टेस्ट के रिइम्बर्स के लिए सरकार की ओर से तंत्र बनाया जाना चाहिए। इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि इन सभी सुझावों पर विचार करेंगे। वहीं, मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस और सरकारों की ओर से हर बंदोबस्त किए गए हैं। तुषार मेहता ने कहा कि पीपीई किट समेत सभी मेडिकल उपकरण का तेजी से इंतजाम किया जा रहा है। साथ ही पॉजिटिव लोग किसी को प्रभावित न करें, इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि डॉक्टरों के वेतन से पैसे काटने की बात में कोई सच्चाई नहीं है।