सियाराम पांडेय शांत
आत्मनिर्भर भारत अभियान देश में तेजी से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना है कि यह देश को किसी भी मामले में दूसरों पर आश्रित न होना पड़ा। जबब तक यह देश अपने जरूरत की वस्तुओं का उत्पादन खुद नहीं करेगा। उसकी गुणवत्ता नहीं बढ़ाएगा, उसे निर्यात योग्य नहीं बनाएगा, तब तक वह आर्थिक झंझावातों से हमेशा घिरा रहेगा।
देशवासियों में राष्ट्रबोध यानी देश सर्वोपरि का भाव जगाने के लिए भी ऐसा करना जरूरी है। वर्ष 1947 से ही यह देश स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाता आ रहा है लेकिन न तो हम स्वतंत्रता का अर्थ समझ पाए और न ही गणतंत्र का। अपने सुविधा तंत्र को ही हमने सर्वस्व मान रखा है। देश अगर कहीं किसी क्षेत्र में पिछड़ रहा है तो उसके मूल में भी यही बात है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को देश से जोड़ने के लिए,उनमें देश की चीजों के प्रति लगाव जगाने के लिहाज से ही 22 अगस्त 1921 को ‘स्वदेशी’ का नारा बुलंद किया था। विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। इस अभियान में पूरे देश ने उनका साथ दिया था और खादी वस्त्रों का अपना लिया था।
जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को दिया गया प्रशिक्षण
उसी दौर में यह बात कही गई थी कि खादी वस्त्र नहीं, विचार है। यह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विरोध का एक तरीका था। सवाल यह है कि जब चीन में सुई से लेकर जहाज तक बनाया जा सकता है तो भारत में ऐसा क्यों नहीं। वैदिक युग से लेकर गुलाम होने तक भारत में हर चीज का उत्पादन होता था। यहां कुटीर उद्योगों में लोगों को महारत हासिल थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर बार—बार भारतीयों से भारत में बने सामानों के इस्तेमाल की अपील कर रहे हैं तो उसके मूल में यही बात है। उन्होंने तो प्रवासी भारतीयों से भी अपील की है कि वे भारत में बने सामानों का ही इस्तेमाल करें। इसमें शक नहीं कि प्रवासी भारतीयों ने देश की सभ्यता और संस्कृति की विदेशों में अलग पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए न केवल प्रवासी भारतीयों की तारीफ की है बल्कि उनसे ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों का इस्तेमाल करने की भी अपील की है। इसी बहाने ‘ब्रांड इंडिया’ की पहचान को और मजबूती करने के लिए उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भावनात्मक मदद भी मांगी है।
प्रवासी भारतीय दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा है कि आज जब भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए आगे बढ़ रहा है तो यहां भी ब्रांड इंडिया की पहचान को मजबूत बनाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका बेहद अहम है। जब आप मेड इन इंडिया उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेंगे तो आपके इर्द-गिर्द रहने वालों में भी भारतीय उत्पादों के प्रति विश्वास बढ़ेगा। ये मेड इन इंडिया उत्पाद चाय से लेकर कपड़ों और दवाओं तक कुछ भी हो सकते हैं। इससे देश का निर्यात तो बढ़ेगा ही, हमारी विविधता भी दुनिया में पहुंचेगी। भारत में निवेश करने, विदेशों में कमाए गए पैसे स्वदेश भेजकर देश के विकास में योगदान देने और कोविड-19 महामारी के दौरान पीएम केयर्स फंड में दान देने के लिए उन्होंने प्रवासी भारतीयों की तारीफ की और कहा कि आज खान-पान हो या फैशन, पारिवारिक मूल्य हों या कारोबारी मूल्य, देश के प्रवासियों ने दुनिया भर में भारतीयता का प्रसार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि तालल दोनों हाथ से बजती है। संबंध एकतरफा नहीं होता। यही वजह है कि उन्होंने देश के हर परिस्थिति में प्रवासी भारतीयों के साथ खड़े होने की बात कही है। प्रवासी भारतीय भारत के लिए कुछ करें या न करें तब भी वे भारत के हैं और इस नाते भी देश का दायित्व है कि वह उनकी रक्षा —सुरक्षा को लेकर हर क्षसण तैयार रहे और विदेशों में फंसे अपने नागरिकों के लिए वह वैदेशिक स्तर पर अपनी आवाज बुलंद भी करता रहा है। कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान विदेशों में फंसे 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को वंदे भारत मिशन के तहत स्वदेश अगर लाया गया तो इसके मूल में भी उनके प्रति भारत का अपनत्वभाव ही है।
विदेशों में भारतीय समुदाय को समय पर सही मदद मिले, इसके लिए हर संभव प्रयास भारत करता रहता है। कर भी रहा है। महामारी के बीच भी भारतीयों के रोज़गार सुरक्षित रहें, इसके लिए कूटनीतिक स्तर पर यहां के सरकार ने पुरजोर प्रयास किए हैं।खाड़ी के देशों सहित अनेक देशों से लौटे प्रवासी भारतीयों के लिए ‘स्किल्ड वर्कर्स अराइवल डाटाबेस फॉर इम्प्लॉयमेंट सपोर्ट’ यानी ‘स्वदेस’ नाम की नयी पहल भी केंद्र सरकार ने शुरू की है। इसका अभीष्ठ वन्दे भारत मिशन में लौट रहे कामगारों की कौशल की पहचान कर उन्हें भारतीय और विदेशी कंपनियों से जोड़ना ही रहा है।
इसमें शक नहीं कि विगत वर्ष तमाम चुनौतियों के बीच विश्व भर में फैले भारतीय मूल के लोगों ने जिस तरह काम किया, अपना कर्तव्य निभाया, वह भारत के लिए भी गर्व की बात है। सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व के लिए दुनिया भर में भारतीय मूल के साथियों पर भरोसा और मजबूत हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने बहुत पते की बात यह कही है कि अगला प्रवासी भारतीय दिवस आज़ादी के 75वें वर्ष के समारोह से भी जुड़ने जा रहा है। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद जैसे अनगिनत महान व्यक्तित्वों की प्रेरणा से दुनियाभर के भारतीय समुदाय ने आजादी में अहम भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में फैले भारतीय समुदाय के लोगों और भारतीय मिशन में तैनात लोगों से एक ऐसा पोर्टल तैयार करने का आग्रह किया जिसमें आजादी की जंग में विशेष भूमिका निभाने वाले प्रवासी भारतीयों का विवरण हो और उनकी सारी जानकारी सचित्र उसमें रखी जाएं। विश्व भर में कब किसने क्या किया, कैसे किया, इन बातों का उसमें वर्णन हो।
हर भारतीय के पराक्रम का, पुरुषार्थ का, त्याग का, बलिदान का, भारत माता के प्रति उसकी भक्ति का गुणगान हो। उनकी जीवन गाथाएं हों, जिन्होंने विदेश में रहते हुए भारत को आजाद कराने में अपना योगदान दिया। यह उत्तम विचार है। मोदी देशवासियों को ही नहीं, प्रवासी भारतीयों को भी अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ विशेष करने की प्रेरणा देते रहते हैं। यह एक अच्छी बात है।
वे विदेशों से कासेई हथियार या विमान खरीदने से पहले उससे जुड़ी तकनीक भी सिखाने का आग्रह करते है जिससे कि भविष्य में उसी तरह के अस्त्र—शस्त्र, मिसाइल या विमान निकट भविष्य में भारत में बनाए जा सकें। भारत की विदेश नीति सदैव स्वतंत्र रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर आधारित है। प्रधानमंत्री की यह अपील सराहनीय है। काश, इस देश के अन्य नेता भी इस तरह की सोच को अंगीकार कर पाते।