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सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत होंगे उत्तर प्रदेश के पॉवरलूम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हैंडलूम्स (Handlooms) एवं पॉवरलूम (Powerlooms) को चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा (Solar Energy) से ऊर्जीकृत करने का रास्ता साफ हो गया है। 25 नवम्बर को कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने इस दिशा में कार्यवाही तेज कर दी है। योजना के तहत पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने के लिए सामान्य वर्ग के बुनकरों को 50 फीसद एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बुनकरों को सरकार की ओर से 75 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी।

बुनकर बाहुल्य 34 जिलों के लाखों परिवारों को मिलेगा लाभ

प्रदेश में सदियों से वस्त्र उद्योग की सम्पन्न परंम्परा रही है। इस परंपरा की बुनियाद पहले हैंडलूम और बाद में पॉवरलूम ही रहे। आज भी प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। हथकरघों, हथकरघा बुनकरों और बुनकर सहकारी समितियों की संख्या क्रमशः 1.91 लाख, 0.80 लाख और 20421 है।

इसी तरह मऊ, अम्बेडकर नगर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि जिले पॉवरलूम बहुल हैं। पॉवरलूम एवं इन पर काम करने वाले बुनकरों एवं पॉवरलूमों की संख्या क्रमशः 2.58 लाख एवं 5.50 लाख हैं।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि चरणबद्ध तरीके से हैण्डलूमस एवं पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस मंशा के अनुरूप होगा जिसके तहत वह उत्तर प्रदेश को देश का टेक्सटाइल हब बनाना चाहते हैं। चूंकि यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जानी है, ऐसे में उम्मीद है कि सरकार के इस फैसले से धीरे-बुनकरों की बिजली पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार सौर ऊर्जा में ऊर्जीकृत होने वाले बुनकरों को सोलर इनवर्टर भी देगी। ऐसा होने से ऊर्जा तो बचेगी ही, तैयार उत्पाद भी इको फ्रेंडली होंगे। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता भी सुधरेगी और उत्पादन बढ़ने से दाम भी बाजार के समान उत्पादों की तुलना में प्रतिस्पर्धी होंगे।

उन्होंने बताया कि पॉवरलूम्स को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने के लिए बजट में भी 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसी क्रम में बुनकरों की बेहतरी के लिए सरकार की योजना वाराणसी के 50 हजार बुनकरों को बैंक से भी जोड़ने की है। इस पर काम चल रहा है। बैंकों से बुनकरों को जोड़ने के पीछे मकसद यह है कि उनके काम में पूंजी बाधा न बने। पूंजी के साथ उनको ओडीओपी योजना के तहत अनुदान भी मिले, इसके लिए सरकार अभियान चलाकर 50 हजार बुनकरों को बैंकों से जोड़ेगी। एमएसएमई विभाग और बैंकर्स की बैठक में यह भी तय हो चुका है कि इस बाबत जरूरत के अनुसार औपचारिकताओं में छूट दी जाएगी। सिडबी भी इस अभियान में मदद करेगी।

मालूम हो कि पहले से ही करीब 25 हजार बुनकर हैंडलूम विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत हैं। सरकार के इन प्रयासों से इस असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना है।

संपन्न वस्त्र उद्योग की परंपरा की बुनियाद रहे हैं लूम एवं पॉवरलूम

प्रवक्ता के अनुसार लूम एवं पॉवरलूम ही उप्र की बेहद सपंन्न वस्त्र उद्योग की बुनियाद रहे हैं। इस क्षेत्र में हुनरमंद बुनकरों की भरमार है। विडंबना यह है कि जिनके बूते बनारस की रेशमी साड़ियां देश-दुनिया में ब्रांड बनीं, वे बुनकर पूरी तरह से असंगठित क्षेत्र में हैं। इसके नाते उनको उनके हुनर का वाजिब दाम नहीं मिलता। योगी सरकार उनको और उनके हुनर को सम्मान देने के लिए संगठित क्षेत्र में लाना चाहती है। बुनकरों की बेहतरी की सभी योजनाओं के मूल में यही है।

यूपी को टेक्सटाइल हब बनाने के लिए उठाए गए कदम

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप संबंधित विभाग इसके अलावा अन्य तैयारियां भी कर रहा है। मसलन उप्र हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेन्टिंग पॉलिसी-2017 के अंतर्गत 16 वस्त्र इकाइयों के पक्ष में ‘लेटर आफ कम्फर्ट’ जारी किये जा चुके हैं। इन इकाइयों द्वारा 196.51 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इस निवेश से कुल 3243 व्यक्तियों को रोजगार मिला ।

इसी क्रम में राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के तहत 19 हथकरघा क्लस्टरों के प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति के लिए भेजे गये हैं। इन क्लस्टरों के विकास के लिए 25.55 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रस्तावित की गयी है। इसके प्राप्त होने पर 2591 हथकरघा बुनकर लाभान्वित होंगे।

इसके अलावा केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की पीएम मित्र योजना के तहत हरदोई में मेगा इन्टीग्रेटेड टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क की स्थापना हेतु भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हो गई है। पार्क में वस्त्र इकाइयों की स्थापना होने पर लगभग पांच लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की सम्भावना है। नोएडा में अपैरल पार्क की स्थापना हेतु भूमि की व्यवस्था हो गयी है। इस अपैरल पार्क में 3000 करोड़ रुपये के निवेश से लगभग 115 निर्यातोन्मुखी वस्त्र इकाइयां स्थापित की जायेंगी, जिससे लगभग दो लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की सम्भावना है।

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