film city in UP

यूपी में फिल्म सिटी बनाने पर सियासत

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने की घोषणा क्या की? महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल सा आ गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तो उसी दिन से प्रलाप की मुद्रा में आ गए हैं। अब जब योगी आदित्यनाथ खुद मुंबई में हैं और वहां के एक होटल में उन्होंने कई फिल्मी हस्तियों से बात भी की है। उन्हें अपनी परियोजना से अवगत कराया है, तब उनके राजनीतिक प्रलाप में और तेजी आ गई है।

मराठी मानुष की बात करने वाली शिवसेना और मनसे को लग रहा है कि फिल्म सिटी यूपी गई तो महाराष्ट्र में कुछ भी नहीं बचेगा। शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुंबई पहुंचते ही मनसे ने वहां के चौक-चौराहों पर मराठी भाषा में पोस्टर टंगवा दिए हैं। इस पोस्टर में लिखा है कि ‘दादासाहेब फाल्के द्वारा बनाई गई फिल्म सिटी को यूपी ले जाने के का मुंगेरी लाल के सपने हैं। कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली । कहां महाराष्ट्र का वैभव और कहां यूपी की दरिद्रता। नाकाम राज्य की बेरोजगारी छुपाने के लिए मुंबई के उद्योग को यूपी ले जाने आया है ठग।

इसमें भले ही प्रत्यक्ष तौर पर योगी आदित्यनाथ का जिक्र नहीं है लेकिन उनके लिए ठग जैसा संबोधन न तो तर्कसंगत है और न ही न्यायोचित। जब शिवसेना और मनसे को पता है कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बीच कोई समानता नहीं है तो फिर उसके नेता बौखलाए से क्यों हैं?,इस बात को जवब तो खैर उन्हें ही देना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि भाजपा बॉलिवुड का एक टुकड़ा इस उत्तरी राज्य में ले जाने का षड्यंत्र रच रही है।

शिवसेना के बड़बोले सांसद संजय राउत को लगता है कि मुम्बई की ‘फिल्म सिटी’ को कहीं और स्थापित करना आसान नहीं है। उसे लखनऊ या पटना में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। मुंबई का शानदार फिल्मी इतिहास रहा है। अब उन्हें कौन बताए कि मुंबई को फिल्मिस्तान बनाने में अकेल मुंबईकरों का हाथ नहीं है। देश भर के कलाकारों की भावनाएं, संवेदनाएं और श्रम सीकर उससे जुड़े हुए हैं। बालीवुड को बॉलीवुड बनाने में उत्तर, प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की भी अहम भूमिका रही है। फिर कला किसी क्षेत्र विशेष का एकाधिकार तो नहीं। मराठी मानुष के नाम पर महाराष्ट्र में कब-कब क्या-क्या हुआ है, परप्रांतीयों के साथ कितनी ज्यादतियां हुई हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। अपने जिस स्वनामधन्य पिता की तारीफ के कसीदे उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, उन्होंने दक्षिण भारतीयों के खिलाफ लुंगी उठाओ, पुंगी बजाओ अभियान छेड़ा था। उनकी नजर में राष्ट्रीयता नहीं, क्षेत्रीयता ही अहम थी।

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यूपी-बिहार के लोगों के साथ भी शिवसेना और मनसे का व्यवहार बहुत अच्छा नहीं रहा है। इसलिए बॉलीवुड को तो घुन लग गया है। ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगर यह कह रहे हैं कि देश कोबॉलीवुड से भी अच्छी फिल्म सिटी की दरकार है और इस निमित्त वे विश्व स्तरीय फिल्म सिटी का निर्माण उत्तर प्रदेश में करना चाहते हैं तो इसमें किसी को भी क्या आपत्ति हो सकती है। फिर कलाकार तो वहीं जाएगा जहां सम्मान, दाम और सुविधाएं पाएगा। उद्धव सरकार की छटपटाहट इसलिए है कि वह कलाकारों को मान—सम्मान नहीं दे पा रही है। कंगना रनौत का मामला छिपा नहीं है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे पत्रकार को इसी राज्य में आत्महत्या का वरण करना पड़ा। अगर महाराष्ट्र सरकार कलाकारों को मान-सम्मान देती, उनके हिताहित का ख्याल रखती तो हजार योगी मुंबई की यात्रा करते, कलाकारों को मुंबई से यूपी नहीं ला पाते लेकिन यहां तो महाराष्ट्र सरकार की पूरी दही ही खट्टी है।

उद्धव ठाकरे, संजय राउत, मनसे और राकांपा नेताओं के विरोध को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद सटीक और पते की बात कही है कि वह किसी राज्य से कुछ भी कहीं नहीं ले जा रहे हैं। यूपी में फिल्म सिटी वहां की मांग और जरूरतों के हिसाब से बन रही है। मुंबई की फिल्म सिटी अपनी जरूरतों के हिसाब से काम करेगी। हम उत्तर प्रदेश में एक विश्व स्तरीय फिल्म सिटी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं और इसीलिए फिल्म जगत से जुड़ लोगों से मुलाकात कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगर मुंबई में हैं तो इसलिए कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। वहां ज्यादातर पूंजीपतियों के व्यापार और मुख्यालय हैं। वे उद्योगपतियों से भी बात कर रहे हैं और फिल्मी कलाकारों से भी। केवल बात करने से कोई किसी के पीछे नहीं चल देता। उसे सहमत करना पड़ता है। उद्धव ठाकरे और संजय राउत को अगर यह लगता है कि मुंबई के उद्योगपति यूपी जा सकते हैं तो उन्हें सहमत करने और यूपी जाने से रोकने का मार्ग स्वत:अपना सकते हैं। इसके लिए योगी आदित्यनाथ के होटल पर प्रदर्शन की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन यह कहने में मुझे ही नहीं, किसी को भी कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि महाराष्ट्र के नेताओं चाहे वह महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ही क्यों न हों, का मनोबल गिरा हुआ है। उन्हें अपने राज्य में काम करने वाले उद्योगपतियों और कलाकारों पर भरोसा नहीं है।

कोरोना काल में जब महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब और अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर काम के अभाव में पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े थे तब भी योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि वे अपने राज्य के मजदूरों को अन्य राज्यों में नहीं जाने देंगे। उन्हें उत्तर प्रदेश में ही काम देंगे और बहुत हद तक उन्होंने मजदूरों से किया गया अपना वादा निभाया भी। योगी आदित्यनाथ की इच्छाशक्ति ही है कि उनके मुंबई जाने भर से वहां के मुख्यमंत्री के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है।

योगी आदित्यनाथ ने यूपी में फिल्म सिटी को लेकर मुंबई के उद्यमियों और फिल्म जगत से जुड़े लोगों से बातचीत की है। यूपी में फिल्म सिटी बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव, सुझाव और सहयोग मांगे हैं। जिस तरह यूपी सीएम उद्यमियों से बात कर रहे थे, उसी दौरान होटल के बाहर एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। यूपी सरकार के एक मंत्री ने तो यहां तक कहा है कि अंडरवर्ल्ड के जरिए धमकी दी जा रही है कि यूपी में फिल्म सिटी न बने। दरअसल यह सब चल क्या रहा है। अगर दक्षिण के राज्यों में फिल्म सिटी बन सकती है तो देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। फिर योगी आदित्यनाथ ने तो पहले ही सुस्पष्ट कर दिया है कि यूपी फिल्म सिटी में केवल हिदी फिल्में ही नहीं बनेंगी। वहां दक्षिण की फिल्में भी बनेंगी और अंग्रेजी की फिल्में भी बनेंगी। फिर संजय राउत का यह कहना कि योगी दक्षिण के राज्यों के कलाकारों से ही क्यों नहीं मिल रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के कलाकारों से नहीं मिल रहे हैं। वे मुंबई ही क्यों आए हैं? इस तरह के बिना सिर पैर के सवाल परेशान करने वाले हैं। हर प्रांत के मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह अपने राज्य की बेहतरी का प्रयास करे और इसके लिए हर वह काम करे, जो जायज हो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वही कर रहे हैं। वे जो कुछ भी कर रहे हैं, वैसा ही कुछ अपने राज्य की जरूरतों के अनुरूप उद्धव ठाकरे और संजय राउत को भी करना चाहिए। अशोक चह्वाण और शरद पवार को भी करना चाहिए। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण का ट्विट है कि जब भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता में थी तब कई उद्योग एवं कार्यालय गुजरात स्थानांतरित कर दिए गए थे। महाराष्ट्र में सरकार बदल गई, लेकिन भाजपा उत्तर प्रदेश सरकार के नाम पर अब बॉलीवुड का एक टुकड़ा ले जाने की पटकथा तैयार कर रही है।

भाजपा के शासनकाल में जो कुछ हुआ, हम फिर वह नहीं होने देंगे।’ इसे दिमागी दिवालियापन नहीं तो और क्या कहा जाएगा? सवाल यह उठता है कि उन्हें क्यों ऐसा लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र का हक छीनने आए हैं। वे तो यहां तक कह रहे हैं कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं को अपनी पार्टी के इस कदम का समर्थन नहीं करना चाहिए और इस पाप में भागीदार नहीं बनना चाहिए।

गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा में एक फिल्म सिटी स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना सितंबर में सामने रखी थी और फिल्म बिरादरी को फिल्म निर्माण के वास्ते उत्तर प्रदेश आने की पेशकश की थी। तभी से तब से इस प्रकरण पर शिवसेना और भाजपा में तनातनी बरकरार है।नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की कवायद से उद्धव ठाकरे नाराज हैं और कह रहे हैं कि वे ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। महाराष्ट्र मैग्नेटिक राज्य है। उद्योगपतियों में आज भी महाराष्ट्र का आकर्षण कायम है। राज्य का कोई भी उद्योग बाहर नहीं जाएगा, बल्कि अन्य राज्यों के उद्योगपति भी महाराष्ट्र में उद्योग लगाने के लिए आएंगे। राज्य के उद्योग राज्य में ही रहेंगे।

विचारणीय तो यह है कि जब उन्हें इतना प्रबल विश्वास है तो वे योगी का विरोध कर अनावश्यक अपनी ऊर्जा का क्षरण क्यों कर रहे हैं? उद्धव ठाकरे एक ओर तो प्रतिस्पर्धा को अच्छी बात बता रहे हैं, वहीं यह भी कह रहे हैं कि कोई चिल्लाकर, धमकाकर किसी को ले जाना चाहेगा तो वे ऐसा नहीं होने देंगे। गत 19 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में नोएडा क्षेत्र में एक भव्य और विशाल फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की थी तो एकबारगी लगा था कि अभी यह एक घोषणा ही है, जो न जाने कब शुरू और कब पूरी होगी लेकिन योगी ने जिस तरह की सक्रियता दिखाई है, वह बताती है कि दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है। फिल्म सिटी की इस योजना को पंख तब लगे जब 22 सितंबर को ही मुख्यमंत्री योगी ने इसकी मीटिंग के लिए कुछ फिल्म वालों को लखनऊ में लंच पर बुला लिया।

इससे यह संदेश गया कि योगी फिल्म सिटी की योजना को लंबा न खींचकर जल्द से जल्द पूरा करने का मन बना चुके हैं।योगी आदित्यनाथ ने फिल्मी दिग्गजों से कहा है कि उन्होंने या उनकी टीम ने इस क्षेत्र में काम नहीं किया है। इस क्षेत्र में आप लोगों ने काम किया है। आप लोगों के पास लंबा अनुभव है। क्या किया जा सकता है? इसके लिए सुझाव दें। उन्होंने कलाकारों को आश्वस्त किया है कि कि यूपी में जो फिल्म सिटी बनेगी,वह विश्वस्तरीय होगी। उन्होंने कलाकारों को यूपी आगमन का न्यौता भी दे दिया है। अब उद्धव और उनकी टीम सोचे कि उसे अपने जरूरतों की प्रतिपूर्ति के लिए क्या कुछ करना है। योगी ने दम दिखा दिया है। अब वे अपना दम दिखाएं और साबित करें कि कलाकार और निवेशक उनके जरखरीद गुलाम हैं। उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जा सकते।

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