कविताओं में बरसाने की होली का जिक्र
राजधानी में कुछ कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की है। होली (Holi) के अवसर पर कोरोना वायरस से बचाव करते हुए होली खेलने संबंधी बेहतरीन पंक्तियां लिखी हैं। पंक्तियों के जरिए बच्चों, युवाओं और वृद्धों को सावधानियां बरतने का संदेश दिया है। उन्होंने अपने लेखन में बरसाने की होली और शाम-ए-अवध का जिक्र किया है।
‘सोशल डिस्टेंसिंग का रखें ख्याल’
कवयित्रियों ने कहा कि वैसे रंगों के इस त्यौहार में बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग हर कोई इसके उमंग में सराबोर हो जाते हैं। खासतौर पर नई नवेली दुल्हन के लिए पहली होली बेहद महत्वपूर्ण होती है। ये परम्परा हमारे यहां सदियों से चली आ रही है। कवयित्रियों ने सलाह दी कि होली (Holi) खेलने के लिए सिर्फ ऑर्गेनिक कलर्स का ही इस्तेमाल करें। पिचकारी से होली (Holi) खेलें, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो सके। रंग लगाने के बाद पास जाकर गले लगने या हाथ मिलाने की बजाय मुंह से बोलकर शुभकामनाएं दें।
इस साल होली (Holi) खेलने के दौरान एक समझदारी दिखाएं, लेकिन फिर भी आप होली खेल ही रहे हैं तो ध्यान रहे कि अच्छे से सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें। कवयित्रियों ने गाया.. होरी रंग लगाओ भंग हो कोरोना के संग’… रंग लगा दो कान्हा मत सोचो परिणाम, हम तेरी राधा रानी हूं तुम मेरे घनश्याम…होली आई रे होली आई रे..बड़े दिनों बाद मिली है बच्चों को आजादी…