लगातार हो रही बारिश से यूपी के तमाम जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है, उन्हीं प्रभावित जिलों में पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी शामिल है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई बारिश एवं बांधो से छोड़े गए पानी की वजह से गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। न सिर्फ शहरी इलाको बल्कि वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में भी जलप्रलय जैसे हालात हो गए हैं, किसानों की फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं।
रोहनिया विधानसभा के रमना गांव के प्रधान ने कहा- लगातार शिकायत के बाद भी तटबंध नहीं बनाए जा रहे, ऐसा ही रहा तो 2022 में मतदान का बहिष्कार करेंगे। किसान अजीत सिंह ने कहा खेतों में पड़ी सब्जियां अब तैयार हो रही थी लेकिन बाढ़ की वजह से वह बर्बाद हो गई, ऐसे में परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बृहस्पतिवार को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करेंगे। राहत शिविरों में राहत सामग्री भी वितरित करेंगे। रात्रि प्रवास बनारस में करने के बाद शुक्रवार को गाजीपुर जाएंगे।
वाराणसी में बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गंगा और वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से हाहाकार मचा है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा का जलस्तर अपने उच्चतम स्तर की तरफ बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार सुबह सात बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.01 मीटर पर था। इसमें एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। काशी में गंगा की धारा तबाही मचाने की राह निकल पड़ी हैं।
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बाढ़ के कारण 25 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित है। यदि बढ़ाव ऐसे ही होता रहा तो आगामी समय में बाढ़ के उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर तक जल स्तर पहुंच जाएगा। बनारस की सड़कों पर गाड़ियों की बजाय नावें चलने लगेंगी। हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। एनडीआरएफ के साथ ही पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद है।
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वाराणसी में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ 1978 में आई थी। उस समय गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर पहुंच गया था। इसे वाराणसी में बाढ़ का उच्चतम बिंदु माना जाता है। 2013 में 72.63 मीटर और 2016 में 72.56 मीटर तक गंगा का जलस्तर पहुंचा था। 2019 में भी खतरे का निशान पार कर गंगा का जलस्तर 71.46 मीटर तक पहुंचा था।