पीएम नरेंद्र मोदी गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर हैं, इस दौरान उन्होंने बीएचयू आईआईटी मैदान पर एक सभा की। इस सभा में शामिल होने के लिए काले कपड़े पहनकर आए लोगों को वापस कर लिया गया, रुमाल भी काली रंग की मिली तो उसे ले लिया गया। आरएसएस के स्वयंसेवकों की काली टोपी को सुरक्षा कर्मियों ने उतरवा दिया, ऐसा इसलिए किया गया कि कोई विरोध प्रदर्शन न करे।
आरएसएस के कुछ वर्करों को ये अजीब लगा, उन्होंने कहा- टोपी तो हमारे यूनिफॉर्म का हिस्सा है, लेकिन अगर रोका जा रहा है तो हम नहीं पहनेंगे। बता दें कि पीएम मोदी ने इस दौरान कोरोना वॉरियर्स से संवाद किया, एमसीएच विंग और क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का उद्धाटन किया।
काला बुर्का पहनकर आने वाली मुस्लिम महिलाओं को भी लौटना पड़ रहा है। जगह-जगह जहां पर भी मेटल डिटेक्टर लगे हुए हैं वहां काले कपड़ों का पहाड़ खड़ा हो गया है। मुश्किल तब आ रही है जो लोग काला पैंट और शर्ट पहन के आए हुए हैं।
वहीं अफसरों का कहना है, ‘सरकार का निर्देश है, हम कुछ नहीं कर सकते हैं। किसी सूरत में किसी भी व्यक्ति को काला कपड़ा पहनकर अंदर जाने की इजाजत नहीं दे सकते हैं।’ यहां तक कि कोई व्यक्ति अगर काला बैग लेकर आया है तो उसे बाहर छोड़ना पड़ रहा है वरना उसे सभा छोड़कर लौटना पड़ रहा है। प्रशासन यह सुनिश्चित करने में जुटा हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली में कोई भी व्यक्ति काला सामान नहीं दिखाने पाए।
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उधर कांग्रेस का कहना है कि काले से मोदी सरकार को इतना नहीं डरना चाहिए। आज शनिवार का दिन है और काले कपड़े नहीं नहीं पहने देना भगवान शनि का अपमान है और हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शनिवार के दिन काले का अपमान बीजेपी को भारी पड़ सकता है।