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‘हरेकृष्ण महताब ने इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में अहम भूमिका निभाई’: PM नरेन्द्र मोदी

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ऩई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार को ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब की ओर से लिखित पुस्तक ‘ओडिशा इतिहास’ के हिंदी संस्करण का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि करीब 1.5 वर्ष पहले हमने उत्कल केसरी हरेकृष्ण महताब जी की 150वीं जयंती बहुत प्रेरणा के अवसर के रूप में मनाई थी। ये पुस्तक ऐसे साल में प्रकाशित हुई है जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी साल उस घटना को भी 100 साल पूरे हो रहे हैं, जब हरे कृष्ण महताब जी कॉलेज छोड़कर आजादी के आंदोलन से जुड़ गए।

 

 

दरअसल, ओड़िया और अंग्रेजी में पहले से ही उपलब्ध इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद शंकरलाल पुरोहित ने किया है। हरेकृष्ण महताब एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वह ओड़िशा के पहले मुख्यमंत्री भी थे. वह 1942 से 1945 तक लगभग दो साल अहमदनगर फोर्ट जेल में बंद रहे और उसी दौरान उन्होंने ओड़िशा इतिहास पुस्तक की रचना की।

पीएम मोदी ने कहा, ‘ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बड़े-बड़े फैसले लिए। सत्ता में पहुंचकर भी वो अपने आप को पहले स्वतंत्रता सैनानी मानते थे और वो जीवन पर्यन्त स्वाधीनता सैनानी रहे। ये बात आज के जनप्रतिनिधियों को हैरत में डाल सकती है कि जिस पार्टी से वो मुख्यमंत्री बने थे, आपातकाल में उसी पार्टी का विरोध करते हुए वो जेल गए थे यानि वो ऐसे विरले नेता थे जो देश की आजादी के लिए भी जेल गए और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए भी जेल गए थे।’

‘हरेकृष्ण महताब ने इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में अहम भूमिका निभाई’

प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) ने कहा, ‘महताब जी ने इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में अहम भूमिका निभाई, ओडिशा के इतिहास को राष्ट्रीय पटल पर ले गए। ओडिशा में म्यूजियम हों, अभिलेखागार हों, पुरातत्व खंड हों, ये सब महताब जी की इतिहास दृष्टि और उनके योगदान से ही संभव हुआ। अगर आपने महताब जी की ओडिशा इतिहास पढ़ ली तो आपने ओडिशा को जान लिया, ओडिशा को जी लिया। इतिहास केवल अतीत का अध्याय ही नहीं होता, बल्कि भविष्य का आइना भी होता है। इसी विचार को सामने रखकर आज देश अमृत महोत्सव में आजादी के इतिहास को फिर से जीवंत कर रहा है।’

स्वाधीनता सैनानियों के बलिदान की गाथाओं को कर रहे पुनर्जीवित: PM

उन्होंने कहा, ‘आज हम स्वाधीनता सैनानियों के त्याग और बलिदान की गाथाओं को पुनर्जीवित कर रहे हैं, ताकि हमारे युवा उसे न केवल जाने, बल्कि अनुभव करें। नए आत्मविश्वास के साथ भर जाए और कुछ कर गुजरने के नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ें। पाइक संग्राम, गंजाम आंदोलन और लारजा कोल्ह आंदोलन से लेकर सम्बलपुर संग्राम तक, ओडिशा की धरती ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की ज्वाला को हमेशा नई ऊर्जा दी। कितने ही सेनानियों को अंग्रेजों ने जेलों में डाला, यातानाएं दी, लेकिन आजादी का जूनून कम नहीं हुआ।’

‘ओडिशा के आदिवासी समाज के योगदान को कौन भुला सकता’

पीएम (PM Narendra Modi) ने कहा, ‘ओडिशा के हमारे आदिवासी समाज के योगदान को कौन भुला सकता है? हमारे आदिवासियों ने अपने शौर्य और देशप्रेम से कभी भी विदेशी हुकूमत को चैन से बैठने नहीं दिया। ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के महान आदिवासी नायक लक्ष्मण नायक जी को हमें जरूर याद करना चाहिए। अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी थी, आजादी का सपना लेकर वो भारत माता की गोद में सो गए थे।

ओडिशा के अतीत को आप खंगालें, आप देखेंगे कि उसमें हमें ओडिशा के साथ साथ पूरे भारत की ऐतिहासिक सामर्थ्य के भी दर्शन होते हैं। इतिहास में लिखित ये सामर्थ्य वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है। भविष्य के लिए हमारा पथप्रदर्शन करता है।’

इनफ्रास्ट्रक्चर के बाद अगला महत्वपूर्ण घटक है उद्योग

उन्होंने कहा, ‘व्यापार और उद्योगों के लिए सबसे पहली जरूरत है- इनफ्रास्ट्रक्चर। आज ओडिशा में हजारों किमी के नेशनल हाइवेज़ बन रहे हैं, कोस्टल हाइवेज बन रहे हैं जो कि पॉर्ट्स को कनेक्ट करेंगे। सैकड़ों किमी नई रेल लाइंस पिछले 6-7 सालों में बिछाई गई हैं। इनफ्रास्ट्रक्चर के बाद अगला महत्वपूर्ण घटक है उद्योग। इस दिशा में उद्योगों, कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए काम हो रहा है। ऑयल और गैस से जुड़ी जितनी व्यापक संभावनाएं ओडिशा में मौजूद हैं, उनके लिए भी हजारों करोड़ का निवेश किया गया है।’

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