पीएम ने जताया शोक

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर पीएम ने जताया शोक

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नई दिल्ली। देश के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का 74 साल की उम्र में गुरुवार को पटना में निधन हो गया है। श्री सिंह पिछले 45 साल से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए इस समय ब्राजील गए हुए हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया। गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ। उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है। विनम्र श्रद्धांजलि!

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताया है। वशिष्ठ नारायण सिंह पटना के कुल्हरिया काम्पलेक्स में अपने परिवार के साथ रहते थे। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार थे और तबीयत खराब होने के बाद परिजन उन्हें पीएमसीएच लेकर गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर वशिष्ठ नारायण सिंह पर पड़ी

आरा के बसंतपुर के रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से ही होनहार थे। उनके बारे में जिसने भी जाना हैरत में पड़ गया। छठी क्लास में नेतरहाट के एक स्कूल में कदम रखा, तो फिर पलट कर नहीं देखा एक गरीब घर का लड़का हर क्लास में कामयाबी की नई इबारत लिख रहा था। वह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे कि तभी किस्मत चमकी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी, जिसके बाद वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने PHD की।

वशिष्ठ नारायण ने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया

वशिष्ठ नारायण ने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया। लोगों के मुताबिक शोध बहुत ही शानदार है। वशिष्ठ नारायण को कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले में असिसटेंट प्रोफेसर की नौकरी मिली। उन्‍हें नासा में भी काम करने का मौका मिला, यहां भी वशिष्ठ नारायण की काबिलयत ने लोगों को हैरान कर दिया।

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अपोलो की लॉन्चिंग के वक्त अचानक कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया, तो वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू कर दिया, जिसे बाद में सही माना गया

बताया जाता है कि अपोलो की लॉन्चिंग के वक्त अचानक कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया, तो वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू कर दिया, जिसे बाद में सही माना गया। साल 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। नासा में भी काम किया लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए।

साल 1974 में वशिष्ठ को सिजोफ्रेनिया पहला दौरा पड़ा

साल 1974 में वशिष्ठ को सिजोफ्रेनिया पहला दौरा पड़ा था, जिसके बाद से उनका इलाज शुरू हो गया था। 1976 में उन्हें रांची में भर्ती कराया गया। इसके 11 साल बाद 1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव लौट आए। इस समय तक उनकी बीमारी काफी बढ़ चुकी थी और साल 1989 में वे गायब हो गए। इसके बाद वे साल 1993 में वह बेहद दयनीय हालत में डोरीगंज, सारण में पाए गए थे।

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