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पीएम मोदी ने सात महिलाओं को सौंपा अपना ट्विटर अकाउंट, पहली महिला स्नेहा मोहन दास

मोदी ने महिलाओं को सौपा ट्विटर

मोदी ने महिलाओं को सौपा ट्विटर

नई दिल्ली। वैसे तो महिलाओं के सम्मान और उनके हौसले के बड़प्पन के लिए हर एक दिन कम होता हैं। आज के समय में सभी देश की महिलाएं क्या कुछ नहीं कर दिखा रही हैं, फिर भी उनके इस बड़प्पन के लिए केवल दिन ही सम्मानपूर्ण होता है। चूंकि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, तो इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नारी शक्ति को शुभकामनाएं दी हैं।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपना ट्विटर उन महिलाओं को सौंप दिया हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम किया है। उनके अकाउंट से सबसे पहले स्नेहा मोहन दास ने अपनी कहानी साझा की है। वह बेघरों को खाना खिलाने वाले फूडबैंक इंडिया की संस्थापक हैं। उन्होंने बताया कि खाना खिलाने की आदत उन्हें अपनी मां से मिली। वहीं राष्ट्रपति आज महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वादे को किया पूरा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वादे के अनुसार महिलाओं को अपने सोशल मीडिया अकाउंट सौंप दिए हैं। उन्होंने लिखा, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई। हम अपनी नारी शक्ति की भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं। जैसा कि मैंन कुछ दिनों पहले कहा था मैं अफने अकाउंट को कुछ समय के लिए छोड़ रहा हूं।

पूरे दिन सात महिलाएं अपनी जीवन यात्राएं साझा करेंगी और मेरे सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से संभवत: आपसे बातचीत करेंगी। भारत के सभी हिस्सों में उत्कृष्ट महिलाएं मौजूद हैं। इन महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में बाहतरीन काम किया है। उनका संघर्ष और आकांक्षाएं लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। आइये हम इन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाएं और उनसे सीखें।’

फूडबैंक नाम से अभियान चलाकर बेघरों को खाना देती स्नेहा मोहन दास

प्रधानमंत्री मोदी ने सात महिलाओं को अपना ट्विटर अकाउंट सौंप दिया है। जिसमें से पहली महिला स्नेहा मोहन दास हैं। वह फूडबैंक नाम से अभियान चलाती हैं जो बेघरों को खाना देने का काम करता है। उन्होंने अपनी कहानी साझा करते हुए लिखा, ‘आपने सोचने के लिए खाना जरूरी है के बारे में सुना होगा। अब समय है कि इसपर कार्य किया जाए और गरीबों को एक बेहतर भविष्य दिया जाए। मुझे अपनी मां से प्रेरणा मिली जिन्होंने बेघरों को खाना खिलाने की आदत डाली। मैंने फूडबैंक इंडिया नाम के अभियान की शुरुआत की।

भूख मिटाने की दिशा में मैंने स्वयंसेवियों के साथ काम किया जिनमें से ज्यादातर विदेश में रहते हैं। हमने 20 से ज्यादा सभाएं की और अपने काम के जरिए कई लोगों को प्रभावित किया। हमने साथ में मिलकर खाना बनाने, कुकिंग मैराथन, स्तनपान जागरुकता जैसी गतिविधियों की शुरुआत की।

‘निशानेबाज दादियां’ चंद्रो और प्रकाशी ने उम्र को किया घुटने टेकने पर मजबूर

मुझे तब सशक्त महसूस होता है जब मैं वह करती हूं जिसका मुझे शौक है। मैं अपने देश के नागरिकों खासकर महिलाओं को आगे आने और मेरे साथ हाथ मिलाने के लिए प्रेरित करना चाहती हूं। मैं सभी से आग्रह करती हूं कि कम से कम एक जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और एक भूख मुक्त ग्रह में योगदान दें।’

अंजू रानी जॉय के पास है जार उठाने में विश्व रिकॉर्ड

केरल के कोच्ची की रहने वाली अंजू रानी जॉय जो व्हीलचेयर पर रहने को मजबूर हैं लेकिन उनके पास जार उठाने का विश्व रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बुरा लगा कि मैं सबसे अलग हूं लेकिन इसके बाद मैंने अपने भविष्य के बारे में सोचा और इस तरह चीजें बदलने लगीं। जार को उठाना पहला कदम था। मैंने यह साबित किया है कि कुछ भी असंभव नहीं होता है।’

तेलंगाना की भूदेवी को मिलेगा नारी शक्ति पुरस्कार

तेलंगाना की भूदेवी को आज राष्ट्रपति नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। उन्हें यह सम्मान आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं की मदद करके उनमें उद्यमशीलता का विकास करने के लिए दिया जाएगा।

जम्मू कश्मीर के शिल्प का पुनरुद्धार करने वाली आरफा को मिलेगा पुरस्कार

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर की आरफा जान को आज राष्ट्रपति राज्य के खत्म होते शिल्प के पुनरुद्धार में अहम भूमिका निभाने के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। उन्होंने कहा, ‘अपने पिता और पति के समर्थन की वजह से मैं रूढ़िवादी समाज से लड़ने और इस मुकाम तक पहुंचने में सफल रही हूं।’

104 साल की नाम कौर को मिलेगा नारी शक्ति पुरस्कार

104 साल की नाम कौर को आज राष्ट्रपति एथलेटिक्स में उनकी उपलब्धियों के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। उन्होंने दुनिया भर में ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं में 30 से अधिक पदक हासिल किए हैं।

खुद में करना होगा विश्वास- अंशु जमसेनपा

अंशु जमसेनपा, भारत की पहली महिला पर्वतारोही हैं जिन्होंने माउंट अवरेस्ट पर पांच दिन में दो बार चढ़ाई की है। उन्होंने कहा, ‘मुझे शुरुआत में किसी का साथ नहीं मिला था लेकिन मैंने अपनी मेहनत से परिवार को धीरे-धीरे मना लिया। आपको खुद में विश्वास करना होगा और सशक्त होने के लिए आश्वस्त रहें।’

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