सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है और यह महत्व सावन (Sawan) के महीने में और अधिक बढ़ जाता है. सावन मास की शुरुआत होते ही सभी भक्त प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं और भगवान शिव की उपासना करते हैं. मान्यता है कि सच्चे दिल से उपासना करने वालों से भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. इस महीने में रुद्राभिषेक और जलाभिषेक के साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र (V) चढ़ाना और साथ ही घर में बेलपत्र (Belpatra) का पौधा लगाना काफी शुभ माना जाता है.
सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इसे श्रावण मास भी कहा जाता है. इस महीने में श्रद्धालु सोमवार का व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. साथ ही भगवान शिव को अतिप्रिय बेलपत्र (Belpatra) भी चढ़ाया जाता है. मान्यता के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घर में सावन के महीने में बेल का पौधा लगाया जा सकता है. माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र (Belpatra) का इस्तेमाल किया जाए तो जातक की पूजा सफल हो जाती है.
ऐसे लगाए बेलपत्र (Belpatra) का पौधा
अगर आप घर में बेलपत्र (Belpatra) का पौधा लगाना चाहते हैं तो सबसे पहले अच्छे गमला चुनें. गमला मिट्टी वाला हो तो बेहतर है. इसके बाद गमले में रेतीली या फिर पथरीली मिट्टी डालें. पौधा लगाने के लिए बेल फल में पाए जाने वाले बीज का इस्तेमाल होता है. इस बीज को धोकर सुखाएं और मिट्टी में बो दें. इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप बीज को गमले में लगाएंगे तो पौधे को बढ़ने में 3 से 4 साल का समय लग सकता है. ऐसे में बाहर से लाए गए पौधे की ग्रोथ ज्यादा बेहतर तरह से होती है.
ऐसे करें पौधे (Belpatra) की देखभाल
इस पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत होती है, ऐसे में बेल के पौधे को समय-समय पर पानी देते रहें. पौधे को बढ़ने के लिए पर्याप्त धूप की भी आवश्यकता होती है. बेल के पौधे (Belpatra) का गमला ऐसी जगह रखें जहां से उसे सीधी धूप लगे. पौधे को कीड़ों से बचाने के लिए नीलगिरी या नीम का इस्तेमाल किया जा सकता है.