नई दिल्ली। पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पिनाका गाइडेड रॉकेट लांच सिस्टम के अपग्रेड संस्करण का ओडिशा के समुद्री तट पर शुक्रवार को भी सफल परीक्षण किया गया है। इस दौरान परीक्षण के लिए तय किए गए सभी मानक सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है।
#WATCH: Pinaka Missile System developed by Defence Research & Development Organisation (DRDO) was again successfully tested today off the Odisha coast. The extended range version of the missile can hit targets at 90 kms. pic.twitter.com/UnG0VU4WGe
— ANI (@ANI) December 20, 2019
परीक्षण का पूरा काम रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़े आयुध अनुसंधान व विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) के निदेशक डा. वी. वेंकटेश्वर राव, रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) के निदेशक बीएचवीएस नारायण मूर्ति और प्रूफ एंड एस्टेब्लिसमेंट (पीएक्सई) के निदेशक डीके जोशी की देखरेख में पूरा किया गया है।
Pinaka Missile System developed by Defence Research & Development Organisation (DRDO) was again successfully tested today off the Odisha coast. The extended range version of the missile can hit targets at 90 kms. pic.twitter.com/5k3J0SyceQ
— ANI (@ANI) December 20, 2019
इससे पहले गुरुवार को भी इसका सफल परीक्षण किया गया था। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम पिनाका मार्क-2 ने सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया है। इस रॉकेट के इसी साल मार्च में राजस्थान की पोखरण टेस्ट रेंज में भी तीन सफल परीक्षण किए गए थे। अब यहां भी परीक्षण की सफलता को सेना की आर्टिलरी क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
इस मल्टी बैरल रॉकेट लांच सिस्टम का यह परीक्षण दोपहर 12.05 बजे चांदीपुर की फायरिंग टेस्ट रेंज पर किया गया। पिनाका रॉकेट के फायर से लक्ष्य भेदने तक पूरे मार्ग पर विभिन्न रेंज सिस्टमों जैसे, रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम और टेलीमेट्री सिस्टम आदि के जरिये परीक्षण की निगरानी की गई। डीआरडीओ सूत्रों ने कहा कि दिन के समय किए गए परीक्षण के दौरान वेपन सिस्टम ने लक्ष्य को भेदने में उच्चतम सटीकता का प्रदर्शन किया।
देशी जीपीएस ‘नाविक’ दिखाता है राह
डीआरडीओ सूत्रों का कहना है कि टाट्रा ट्रक पर स्थापित किए गए पिनाका वैपन सिस्टम के अपग्रेड संस्करण में विशिष्ट गाइडेंस किट लगाई गई है, जो एडवांस नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम से लैस है। इसका नेविगेशन इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के जरिये किया जाता है, जिसे ‘नाविक’ भी कहते हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव के बाद पिनाका की मारक दूरी, क्षमता और लक्ष्य को भेदने की सटीकता भी बढ़ गई है।
कारगिल युद्ध में सटीक रहा था पिनाका मार्क-1
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पिनाका मार्क-1 संस्करण का इस्तेमाल किया था, जिसने पहाड़ की चौकियों पर तैनात पाकिस्तानी चौकियों को सटीकता के साथ निशाना बनाया था।
एक नजर में पिनाका
- 1986 में शुरू किया गया था सिस्टम का निर्माण
- 214 मिमी बैरल वाले 12 रॉकेट से लैस है सिस्टम
- 250 किलोग्राम होता है इसके हर वारहेड का वजन
- 80 किमी/घंटा की गति से करता है लक्ष्य पर हमला
- 40 किलोमीटर है पिनाका मार्क-1 संस्करण की मारक दूरी
- 65 किलोमीटर थी पिनाका मार्क-2 की शुरुआती मारक दूरी
- 70 किलोमीटर किया गया था इसे बढ़ाकर मई, 2018 में
- 75 किलोमीटर हो गई है नए नेविगेशन के बाद इसकी मारक दूरी
- 120 किलोमीटर मारक दूरी वाले पिनाका मार्क-3 का विकास जारी