कोरोना संकट के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की चिंता को बढ़ा दिया, केंद्र सरकार ने भाव कम करने के बजाय अजीबोगरीब तर्क दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- सरकार को ऑयल बांड्स की देनदानी देनी पड़ रही है, इस परंपरा को कांग्रेस ने शुरु किया और भुगतना मोदी सरकार को पड़ रहा है। उन्होंने कहा- कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल और गैस के दामों की बिक्री वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की, और सब्सिडी के बजाय 1.34 लाख करोड़ के तेल बॉड जारी कर दिए।
उन्होंने कहा- अगर ऑयल बॉड का बोझ नहीं होता तो ईंधनो पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति होती, लेकिन कांग्रेस के फैसलों ने हमें मुश्किल में डाल दिया। बता दें कि देश के करीब बीस राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर के ऊपर हैं, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो 110 रुपए पहुंच गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी। तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिये कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉंड जारी किए थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे।
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ये तेल बांड अब परिपक्व हो रहे हैं। सरकार इन बॉंड पर ब्याज का भुगतान भी कर रही है. सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि मुझ पर आयल बॉंड का बोझ नहीं होता तो मैं ईंधनों पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होती. पिछली सरकार ने आयल बॉंड जारी कर हमारा काम मुश्किल कर दिया। मैं यदि कुछ करना भी चाहूं तो भी नहीं कर सकती क्योंकि मैं काफी कठिनाई से आयल बांड के लिये भुगतान कर रही हूं। ’