नई दिल्ली। दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक सउदी अरब के उत्पादन में बड़ी कटौती करने के लिए राजी हो गया है। इससे वैश्विक बाजार में तेल के दाम में जोरदार तेजी आई है।
बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव 54 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया गया है। डल्यूटीआई भी 50 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है। कच्चे तेल की कीमतें 10 महीने से ज्यादा समय के उंचे स्तर पर चली गई हैं। बाजार के जानकारों का मानना है कि महंगे होते कच्चे तेल और इन कारणों से इस महीने पेट्रोल की कीमतें (Petrol prices) 100 रुपए प्रति लीटर तक जा सकती हैं।
बता दें कि क्रूड की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में 10 से 15 डॉलर प्रति बैरल का और इजाफा हो सकता है। अगर क्रूड की कीमतों में और इजाफा होता है तो डीजल 90 रुपए और पेट्रोल 100 रुपए तक जा सकता है।
जानें क्या कहते हैं जानकार?
केडिया कैपिटल के एमडी अजय केडिया ने बताया कि पिछले डेढ सालों से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बैलेंस कर रखा है। चूंकि अब क्रूड ऑयल 10 महीने के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है। ऐसे में कंपनियों पर मार्जिन का दवाब बढ़ेगा लिहाजा कंपनियां कीमतें बढ़ाने का फैसला कर सकती है। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान गतिविधियां ठप पड़ने से भी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा है। अब चूकि चीजें सामान्य हो रही हैं। ऐसे में अब कंपनियां ग्राहकों पर बोझ बढ़ा सकती है।
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एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट, एनर्जी व करेंसी, अनुज गुप्ता ने कहा कि तेल के उत्पादन में अतिरिक्त कटौती से कीमतों को आगे भी सपोर्ट मिलेगा और डब्ल्यूटीआई का भाव आगे 54 से 56 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है।
घरेलू बाजार में भी बढ़त
घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर हालांकि कच्चे तेल के जनवरी अनुबंध में महज चार रुपए की बढ़त के साथ 3668 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था। जबकि कारोबार के दौरान भाव 3676 रुपये प्रति बैरल तक चढ़ा। बीते सत्र में एमसीएक्स पर कच्चे तेल में पांच फीसदी से ज्यादा की तेजी रही।
जानें क्यूं बढ़ रही कीमतें?
बाजार के जानकार बताते हैं कि दुनिया में तेल का सबसे बड़ा निर्यातक सउदी अरब के तेल के उत्पादन में कटौती के लिए मान जाने के कारण कीमतों में तेजी देखी जा रही है। तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक व अन्य प्रमुख उत्पादों की बैठक के बाद सउदी अरब ने फरवरी और मार्च में 10 लाख बैरल रोजाना अतिरिक्त उत्पादन कटौती करने पर सहमति जताई है।