कानपुर। देश में महिलाओं के साथ हैवानियत की जो घटनाएं हो रही हैं। ऐसी घटनाओं को करने वाले विकृत मानसिकता के लोग हैं। इन लोगों के खिलाफ अधिकतम छह माह में सजा दिए जाने का प्रावधान हो। इनको सजा को लेकर संसद में भी कानून बनाना चाहिए। हालांकि केन्द्र सरकार इस ओर बराबर प्रयास कर रही है। यह बातें गुरुवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने कही है।
बाथम ने कहा कि ज्यादातर होता है कि हम बेटे को पूरा स्वतंत्रता देते है, जबकि बेटियों के प्रति अभी भी हमें यह सोच बदलने की जरूरत
विमला बाथम ने कहा कि निर्भया कांड के बाद से देश में कई कड़े कानून बने हैं, लेकिन सजा में देरी के चलते ऐसे लोगों में इस तरह की घटना करने में डर नहीं दिखता है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द दोषियों को सजा हो जाए तो उनमें निश्चित ही भय पैदा होगा। ऐसी घटनाओं में कमी आएगी। बेटियों की सुरक्षा को लेकर महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि मां बच्चों की प्रथम शिक्षक होती है। उन्होंने कहा कि इसलिए बेटा हो या बेटी दोनों की परवरिश में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। बाथम ने कहा कि ज्यादातर होता है कि हम बेटे को पूरा स्वतंत्रता देते है, जबकि बेटियों के प्रति अभी भी हमें यह सोच बदलने की जरूरत है। इस तरह के अपराधों में समाज की जिम्मेदारी भी अहम होनी चाहिए ताकि महिलाएं सुरक्षित निकल सके।
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महिला बंदियों को शिफ्ट किया जाये लखनऊ
विमला बाथम गुरुवार को कानपुर जेल का औचक निरीक्षण पहुंची थी। उन्होंने जिला कारागार में महिला बंदियों से बैरक में मुलाकात की । निरीक्षण के दौरान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने जेल में महिला बंदियों की व्यवस्थाओं को परखा। खानपान के साथ ही साफ सफाई को लेकर निरीक्षण में यह जेल बेहतर मिली। उन्होंने बैरक में संख्या से दोगुनी महिला बंदियों के होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कानपुर जेल में 60 बंदियों की जगह है, लेकिन मौजूदा समय मे 98 बन्दी यहां हैं। उन्होंने लखनऊ के नारी निकेतन में शिफ्ट करने की जेल प्रबंधन से बात कही, ताकि बंदियों को होने वाली परेशानी न होने पाए।