संसद से लेकर सड़क तक पेगासस स्पाइवेयर विवाद को लेकर बवाल मचा हुआ है, इस बीच एक बड़ी खबर आई है। जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होगी, चीफ जस्टिस एनवी. रमना की बेंच के सामने इस मामले को उठाया गया। वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को जस्टिस के सामने इस मुद्दे को उठाया, उन्होंने पत्रकार एन. राम द्वारा दाखिल याचिका का ज़िक्र किया।
याचिका में अपील की गई है कि पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, जांच की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट का कोई मौजूदा या रिटायर्ड जज करे। आरोप है कि सरकारी एजेंसियों ने पेगासस स्पाइवेयर की मदद से पत्रकारों, जजों, वरिष्ठ नेताओं, वैज्ञानिकों और अन्य लोगों की जासूसी की।
इस याचिका में कहा गया है कि पत्रकारों, चिकित्सकों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सरकार के मंत्रियों और विपक्षी नेताओं के फोन को हैक करना संविधान के अनुच्छेद 19 (एक) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन से गंभीर समझौता है। पेगासस स्पाइवेयर के जरिए फोन हैक करना आईटी कानून की धारा 66 (कंप्यूटर से संबंधित अपराध), 66बी (बेईमानी से चुराए गए कंप्यूटर संसाधन या संचार उपकरण प्राप्त करने के लिए सजा), 66ई और 66एफ के तहत एक दंडनीय अपराध है।
लड़की को छेड़ना पड़ा महंगा, भाजपा सांसद प्रतिनिधि के बेटे को मार मारकर भीड़ ने पहुंचाया थाने
आपको बता दें कि पेगासस के मामले पर 500 से अधिक लोगों और समूहों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखा है और मांग की है सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करे। इस पत्र में भारत में इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री, हस्तांतरण और उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की है। पत्र पर अरूणा रॉय, अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर जैसे नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, वृंदा ग्रोवर, झूमा सेना जैसी प्रख्यात वकीलों ने हस्ताक्षर किये हैं।