पेगासस जासूसी कांड पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई हुई, कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए याचिकाकर्ताओं को याचिकाओं की प्रति केंद्र सरकार को सौंपने को कहा है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सवाल किया कि इस मामले में आईटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई गई है
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर आपको लगता है कि आपका फोन हैक हुआ है, तो फिर FIR दर्ज क्यों नहीं करवाई?याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने मांग कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या उन्होंने ये सॉफ्टवेयर खरीदा और कहां पर इस्तेमाल किया। सिब्बल ने यह भी कहा कि पेगासस एक खतरनाक तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है।
सीजेआई ने कहा कि जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी। मुझे नहीं पता कि क्या अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई प्रयास किए गए थे। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहते थे कि यह एक बाधा थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह प्रत्येक मामले के तथ्यों में नहीं जा रही है और अगर कुछ लोगों का दावा है कि उनके फोन को इंटरसेप्ट किया गया था तो टेलीग्राफ अधिनियम है जिसके तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सिब्बल ने कहा, ‘मैं समझा सकता हूं। हमारे पास कई सामग्री तक पहुंच नहीं है। याचिकाओं में फोन में सीधी घुसपैठ के 10 मामलों की जानकारी है।’
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सुनवाई के दौरान एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है। सिब्बल ने कहा कि पेगासस एक खतरनाक तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। इसके चलते हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला हुआ है।