Site icon News Ganj

पेगासस जासूसी कांड पर क्यों चुप्पी की चादर तान रखी है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने?- पत्रकार

संसद से लेकर सड़क तक पेगासस स्पाइवेयर विवाद को लेकर बवाल मचा हुआ है, इस पर पत्रकार उत्तम सेनगुप्ता ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को घेरा। उन्होंने लिखा- न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अभूतपूर्व तरीके से चुप्पी की चादर तान रखी है। उन्होंने लिखा कि कैबिनेट पद पर आसीन मौजूदा एनएसए अपने बॉस की तरह भारतीय संसद के प्रति जवाबदेह नहीं है, डोभाल अदृश्य रहते हैं।

उन्होंने कहा कि यह भी याद रखना चाहिए कि एनएससी के बजट में अचानक इजाफा साइबर सुरक्षा से जुड़े अनुसंधान के लिए ही किया गया था। बता दें कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होगी, चीफ जस्टिस एनवी. रमना की बेंच के सामने मामले को उठाया गया।

पहले दो राष्ट्रीय सुरक्षासलाहकार- बृजेश मिश्रा और जे एन दीक्षित का निधन हो चुका है। दोनों ही भारतीय विदेश सेवा से जुड़े कॅरियर डिप्लोमैट थे। उनके बाद 2005 से 2010 के बीच एनएसए रहे एम के नारायणन। नारायणन आईपीएस अधिकारी थे जो बाद में पश्चिम बंगाल के गवर्नर बने। डोभाल से ठीक पहले शिवशंकर मेनन एनएसए थे जो आईएफएस अधिकारी थे। नारायणन और मेनन- दोनों किताबें लिख रहे हैं और जगह-जगह लेक्चर दे रहे हैं।

ऐसा भी नहीं है कि डोभाल एकदम अदृश्य ही रहते हैं जिन्हें कोई सुन ही नहीं सकता। 2019 में कर्फ्यू लगे श्रीनगर में सड़क पर बिरयानी खाते हुए और 2020 में दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाके में पुलिस वालों के घेरे में घूमते उनकी तस्वीरें हर किसी के जेहन में हैं। लेकिन चीनी आक्रामकता, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, तालिबान (जिससे कथित तौर पर भारत संपर्क में है) के कारण मिल रही चुनौती और न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बनी साइबर सुरक्षा के मसलों पर वह एकदम मौन हैं।

हम लोकतंत्र में हैं गुलामी नहीं है, मांगें पूरी होने तक जीएसटी न दें- प्रदर्शन के पक्ष में बोले पीएम मोदी के भाई

निश्चित तौर पर एनएसए पेगासस के बारे में बात करने वाले सबसे जानकार व्यक्ति होते। खास तौर पर तब जब यह मानने के तमाम कारण हैं कि भारत-इजरायल संबंधों को मजबूत बनाने में उनकी अच्छी-खासी भूमिका रही है। उन्होंने 2016 में इजरायल का दौरा किया था और अगले साल प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए उन्होंने जमीन तैयार की थी। यह भी याद रखना चाहिए कि नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) के बजट में अचानक इजाफा साइबर सुरक्षा से जुड़े अनुसंधान के लिए ही किया गया था।

Exit mobile version