महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए मोदी सरकार किसानों के साथ समझौता करने को तैयार नहीं है।इस बीच पंजाब के फिरोज़पुर से दो बार भाजपा विधायक रहे सुखपाल सिंह नन्नू ने आंदोलित किसानों के पक्ष में पार्टी छोड़ दी है।सुखपाल सिंह नन्नू ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मौत की निंदा करते हुए गुरुवार को पार्टी छोड़ दी।इससे पहले भी वो चेतावनी दे चुके थे कि यदि किसानों का मुद्दा जल्द ही सुलझाया न गया तो वह पार्टी की सदस्य्ता से इस्तीफा दे देंगे।
उन्होंने बताया कि आंदोलन में कुछ किसानों की जान चली गई, जिसके कारण उनके समर्थकों ने उन्हें 2022 विधान सभा चुनाव से पहले कोई ठोस कदम उठाने को कहा था।नन्नू बीजेपी के टिकट पर फिरोजपुर सिटी से 2002 और 2007 में विधायक बने थे। हालांकि, 2012 और 2017 में वह कांग्रेस के परमिंदर सिंह पिंकी से हार गए थे। अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए नन्नू ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में कई किसानों की मौत को लेकर उनके समर्थक दुखी थी और चाहते थे कि 2022 से पहले वह कुछ फैसला करें।
अकली दल में जाने की अटकलों को खारिज करते हुए नन्नू ने कहा कि वह फिलहाल किसी पार्टी में नहीं शामिल होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ”मैं वही करूंगा जो मेरे कार्यकर्ता कहेंगे।” इससे पंजाब में बीजेपी के प्रवक्ता अनिल सरीन नन्नू को मनाने के लिए आए थे। नन्नू ने कहा कि मौजूदा हालात के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि पंजाब के नेता शीर्ष नेतृत्व को सही तस्वीर नहीं बता रहे हैं। नन्नू ने कहा कि इन कानूनों के पास होने पर उन्होंने सबसे पहले विरोध जताया था। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में यह लाभदायक है, लेकिन पंजाब जैसे राज्यों में यह विध्वंसकारी होगा। भावुक आवाज में नन्नू ने यह भी कहा कि 54 साल पहले उन्होंने पिता के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की मौजूदगी में भगवा दल का दामन थामा था।