कथकली नृत्य सम्राट उस्ताद चेमनचेरी कुनिरामन नायर (Padma Shri Chemnacheri Kuniraman Nair) का आज सुबह निधन हो गया। उत्ताद चेमनचेरी का निधन 105 वर्ष की आयु में चेलिया स्थित उनके आवास पर हुआ।
वह केरल के सबसे सम्मानित कथकली नर्तक थे। चेमनचेरी, भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री सहित कई अन्य सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. मशहूर फिल्म सितारों सहित उनके सैकड़ों शिष्य भी हैं।
उन्हें 2017 में कला के रूप में शानदार योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। मंच पर भगवान कृष्ण और कुचेला का उनका चित्रण हमेशा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया करता था। उन्होंने अपनी कला की आखिरी प्रस्तुति 100 साल के उम्र में की थी।
14 साल की आयु से उन्होंने केरल राज्य का शास्त्रीय नृत्य कथकली सीखना शुरू किया। गुरु द्वारा चलाए जा रहे कथकली मंडली में शामिल होने के लिए उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था।
9 दशक तक अपने अथक प्रयासों से उन्होंने कथकली में ‘कालदीकोदन’ शैली में महारत हासिल की। वर्षों के अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद, उन्होंने 1945 में ‘भारतीय नाट्यकलाम’ स्थापित किया। यह नॉर्थ केरल में पहला नाट्य विद्यालय था। इस नाट्य विद्यालय ने आगे चलकर कई अन्य नृत्य विद्यालयों की स्थापना में भूमिका निभाई।
उन्होंने अपनी कला से कई कीर्तिमान स्थापित किए। उनको केरल संगीत नाटक अकादमी और केरल कलामंडलम सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कार और मान्यताएं प्राप्त हैं।