नई दिल्ली। वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी राफेल एयरक्राफ्ट सौदे पर बुधवार दोपहर बाद सुनवाई शुरू होने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एयर वाइस मार्शल चेलापति से हाल में शामिल किए गए विमानों के बारे में पूछा। इसपर चेलापति ने कहा कि,” वायु सेना में ताजातरीन विमान सुखोई-30 शामिल किया गया है। हालांकि, हमें पांचवीं पीढ़ी के विमानों की जरूरत है इसीलिए राफेल का चयन किया गया।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है।इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कुछ राहत दी थी । शीर्ष अदालत ने कहा- जब तक हम तय नहीं करते तब तक सरकार को इस विमान की कीमत पर याचिकाकर्ताओं के विवादों का जवाब देने की जरूरत नहीं है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में कहा- राफेल डील में बदलाव किया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते थे कि इसे अंबानी की कंपनी को दिया जाए। याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से अदालत में पेश की गई रिपोर्ट से खुलासा होता है कि यह एक गंभीर घोटाला है। उन्होंने यह केस पांच जजों की बेंच के पास ट्रांसफर करने की अपील की।
इतना ही नहीं बल्कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि गोपनीयता एयरक्राफ्ट की कीमतों को लेकर नहीं है बल्कि हथियारों और विमान तकनीक को लेकर है। सरकार ने विमान और हथियारों की कीमतें सुप्रीम कोर्ट से साझा की हैं। यह एक रक्षा खरीद है, राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। ऐसे में अदालत इसकी समीक्षा नहीं कर सकती। इसके खुलासे में सरकारों के बीच हुए समझौते जैसी बाधाएं हैं।
इस पर याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ,” सरकार की दलील है कि राफेल की कीमत सार्वजनिक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। सरकार संसद में दो मौकों पर खुद इसकी कीमत बता चुकी है। ऐसे में ये कहना कि कीमत बताने से गोपनीयता की शर्तों का उल्लंघन होगा, गलत दलील है। नई डील में राफेल की कीमत पहले से 40% ज्यादा है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।