चंडीगढ़। भारतीय सेना की तरफ से वर्ष 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाया गया था। इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले सेना के लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) पीएन हून का सोमवार को देर रात पंचकूला स्थित सेना अस्पताल में निधन हो गया। 91 वर्षीय हून बीते कुछ दिनों से सेना के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था। सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने परिवार समेत पंचकूला में ही रहते थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर चंडीगढ़ में किया गया।
पाकिस्तान के एबटाबाद में जन्मे हून का परिवार बंटवारे के बाद भारत आ गया
बता दें कि करीब 33 साल पहले पाकिस्तान ने जब सियाचिन चोटी पर कब्जे की तैयारी कर ली। तो ऐन मौके पर भारतीय सेना को कूच के आदेश जारी किए गए। विश्व की सबसे उंची चोटी पर भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ की कमान पीएन हून को सौंपी गई थी। पाकिस्तान के एबटाबाद में जन्मे हून का परिवार बंटवारे के बाद भारत आ गया था।
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हून वर्ष 1987 में सेना की चंडीगढ़ स्थित पश्चिमी कमान प्रमुख के रूप में हुए थे सेवानिवृत्त
हून वर्ष 1987 में सेना की चंडीगढ़ स्थित पश्चिमी कमान प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। साल 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की, लेकिन वह सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं बने। हून के नेतृत्व में भारत ने सियाचिन युद्ध जीता था। यह आपरेशन अप्रैल, 1984 में तब लांच किया गया जब खुफिया एजेंसी रॉ ने बताया कि 17 अप्रैल 1984 को पाकिस्तान सेना सियाचिन ग्लेशियर कब्जाने के लिए चढ़ाई करेगी।
सेवानिवृत्ति के बाद हून ने देश की सुरक्षा को लेकर कई सुझाव भी दिए
भारतीय सैनिकों ने हून की अगुवाई में भारतीय झंडा फहराया था। सेना के इतिहास में इस आपरेशन को इसलिए याद रखा जाता है कि संख्या के आधार पर भारतीय सैनिक बहुत कम थे। उनके पास न तो पर्याप्त हथियार थे। न ही सियाचिन के तापमान के अनुरूप उपकरण थे। सेवानिवृत्ति के बाद हून ने देश की सुरक्षा को लेकर कई सुझाव भी दिए थे।
उनके निधन पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य समेत कई जनप्रतिनिधियों ने शोक व्यक्त किया है।